कोण्डागांव

सीपीआई ने स्कूलों के युक्तियुक्तकरण और शिक्षकों की समायोजन नीति के विरोध में सौंपा ज्ञापन
03-Jun-2025 10:23 PM
सीपीआई ने स्कूलों के युक्तियुक्तकरण और शिक्षकों की समायोजन नीति के विरोध में सौंपा ज्ञापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोण्डागांव, 3 जून। सीपीआई जिला परिषद् कोण्डागांव ने स्कूलों के युक्तियुक्तकरण और शिक्षकों की समायोजन नीति के विरोध में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शालेय शिक्षा मंत्री, आदिम जाति विकास, अनुसूचित जाति विकास अन्य पिछडावर्ग व अल्पसंख्यक विकास मंत्री, महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री छत्तीसगढ़ शासन को सम्बोधित एक ज्ञापन को कलेक्टर कोण्डागांव को सौंपा।

स्कूलों के युक्तियुक्तकरण और शिक्षकों की समायोजन नीति के विरोध विषयक ज्ञापन को सीपीआई जिला सचिव तिलक पांडे के नेतृत्व में शैलेष, जयप्रकाश नेताम, विशम्बर मरकाम, मुकेश मंडावी, अनंत राम सेठिया, दिनेश कुमार, अर्जुन नेताम, रामचन्द नेताम, सोमारु गावड़े, राम चन्द मरकाम, रैमल  सलाम, चन्दर कोराम, दिपेश कुमार, सुनीत कुमार एवं अन्य के द्वारा 2 जून को कलेक्टर कोण्डागांव को सौंपा गया है।

 ज्ञापन में उल्लेख है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लागु की जा रही स्कुलों के युक्तियुक्तकरण और शिक्षकों के समायोजन की नीति के संबंध में अपनी गंभीर आपत्तियां और चिंताएं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही है।

सरकार द्वारा 10443 स्कूलों के युक्तियुक्तकरण का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत कम संख्या वालें स्कूलों को अन्य स्कूलों में विलय किया जा रहा है, इससे ग्रामीण व सुदुर क्षेत्रों व आदिवासी क्षेत्रों में स्कुलों के बंद होने की स्थिति निर्मित हो रही है, जो बच्चों के शिक्षा को गंभीर रुप से प्रभावित करेगी।

 यह शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के विपरीत है।

युक्तियुक्तकरण के तहत 5370 शिक्षकों को अतिशेष घोषित कर अन्य स्कूलों में स्थानान्तरित किया जा रहा है। साथ ही प्राथमिक शालाओं में 2008 के सेटअप (1) प्रधान पाठक $2 सहायक शिक्षक) को संशोधित कर एक पद कम किया जा रहा है, इससे शिक्षकों पर कार्यभार बढ़ेगा और गुणवतापूर्ण शिक्षा प्रदान करना असंभव हो जाएगा।

दो शिक्षकों के साथ कक्षाओं का संचालन अव्यवहारिक है, इससे शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव बढ़ेगा और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कुलों की कमी से ड्रॉपआउट दर बढऩे की आंशका है और विशेष रुप से आदिवासी और पिछड़े समुदाय के बच्चों के भविष्य को खतरे में डालेगी। युक्तियुक्तकरण के कारण शिक्षक भर्ती की आवश्यकता को कम करने की कोशिश की जा रही है। वर्तमान में राज्य में 15000 के लगभग शिक्षकों की कमी है, लेकिन इस नीति से भर्ती की आवश्यकता को घटाकर 5000 हजार कर दिया गया है। यह बेरोजगार शिक्षित युवाओं के लिये अन्यायपूर्ण है।

 इस संबंध में भाकपा कोण्डागांव की प्रमुख मांगे है कि 1.युक्तियुक्तकरण की वर्तमान नीति को तत्काल रद्द किया जाय और 2008 के सेटअप को यथावत रखा जाय। 2.एकल शिक्षक और शिक्षकविहीन स्कुलों की समस्याओं को हल करने के लिए अतिशेष शिक्षको का समायोजन पारदर्शी और तर्क संगत तरीके से किया जाय। 3. रिक्त 15000 शिक्षक पदों का तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरु की जाय। 4. ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्कुलों को बंद करने के बजाय, वहां शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय। 5.युक्तियुक्तकरण नीति पर शिक्षक संगठनों व जनप्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श कर सहमति बनाई जाय। 6. ग्राम पंचायत, शाला प्रबंधन समिति और ग्राम सभा की अनुमति के बिना निजी स्कुल खोलने व संचालन करने की अनुमति राज्य शासन द्वारा न दी जाय। 7.जनप्रतिनिधिओं, प्रशासनिक सेवा के अधिकारीयों व कर्मचारियों के बच्चों की शासकीय स्कूलों में भर्ती किया जाना आवश्यक किया जाय ताकि लोगों का शासकीय स्कुलों पर विश्वास बढ़ सके। 8.शासकीय शिक्षकों व कर्मचारियों के लिये स्कुल के समीप ही आवासीय भवन का निर्माण सुनिश्चित किया जाय।

भा.क.पा. विनम्र अनुरोध करती है उपरोक्त मांगों पर गंभीरता से विचार करते हुए शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और शिक्षकों के हितों की रक्षा करने के लिए तत्काल कदम उठाये जायें। यदि हमारी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो, हमें मजबूरन व्यापक प्रदर्शन और आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी राज्य शासन की होगी।


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