धमतरी

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: नशामुक्ति के क्षेत्र में सक्रिय मधु की प्रेरणा से महिलाओं ने छोड़ा तंबाकू
07-Mar-2022 6:45 PM
अंतरराष्ट्रीय महिला  दिवस पर विशेष: नशामुक्ति के क्षेत्र में सक्रिय मधु की प्रेरणा से महिलाओं ने छोड़ा तंबाकू

नशा सेवन नहीं करने और मानसिक रोगियों के प्रति चेतना जगाने की जरूरत- डॉ. मधु

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

धमतरी, 7 मार्च। तंबाकू की आदत लगने के बाद इस आदत को छोड़ पाना एक जटील कार्य है। नशे का सेवन करने से मना करने वाले व्यक्ति को ही सबसे ज्यादा आलोचना का शिकार होना पड़ता है। लेकिन धमतरी के एक छोटे से गांव की रहने वाली डॉ. मधु पांडेय की दृढ़ इच्छा शक्ति और समुदाय को नशा मुक्त करने के लिए दृढ़ संकल्पना के चलते धमतरी तंबाकू मुक्त जिले बनद्बने की ओर अग्रसर है। आसपास के ग्रामीण उनके प्रयास से ना सिर्फ नशा मुक्ति और तंबाकू का सेवन नहीं करने के प्रति जागरूक हो रहे हैं बल्कि कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने डॉ. मधु की प्रेरणा से नशा का सेवन करना भी छोड़ दिया है।

डॉ. मधु के अथक प्रयास से अभी तक 227 हायर सेकंडरी स्कूल ( सरकारी और निजी), 1, 326 प्राइमरी, मिडिल स्कूल( सरकारी एवं निजी) तंबाकू मुक्त हो चुके हैं। वहीं तीसरे फेज में कॉलेजों को पूरी तरह से तंबाकू मुक्त कराने में सक्रिय भागीदारी इनकी पहली प्राथमिकता है।

डॉ. मधु  कहती हैं कि पिता की प्रेरणा से आज 60-70 वर्षीय महिलाओं को उनकी उम्र के इस पड़ाव पर भी गुड़ाखू का सेवन छोडऩे के लिए प्रेरित करना मेरे लिए कठिन कार्य जरूर था, मगर नामुमकिन नहीं था। उन्हें जिले की 71 ऐसी महिलाओं को तंबाकू सेवन छोडऩे के लिए पुरस्कृत भी किया गया है, आज वह महिलाएं खुद लोगों को तंबाकू सेवन नहीं करने के प्रति जन चेतना की अलख जगा रही हैं।

वर्ष 2017 से अब तक साइकोलॉजिस्ट, के रूप में डॉ. मधु पांडेय अपनी सेवाएं दे रही हैं। उनके अथक प्रयास और सराहनीय कार्य की वजह से जिले में जहां महिला एवं किशोरी स्वास्थ्य और माहवारी स्वच्छता के प्रति लोगों की मानसिकता बदली है परंतु  जो नहीं बदला वह है तंबाकू का सेवन और नशाखोरी करना । मधु कहती हैं जिला स्तर पर शासन की पहल पर तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम से जुडऩे के बाद तंबाकू का सेवन नहीं करने और इसके दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ तंबाकू सेवन करने वालों को चिकित्सकीय परामर्श और काउंसिलिंग का कार्य कर रही हूं परंतु सबकुछ जानते हुए भी तंबाकू और तंबाकू उत्पादों का सेवन करते लोगों को देखकर दु:ख होता है। ऐसे लोगों के प्रति सामाजिक चेतना जगाने की और जरूरत है।  

नशापान की पहली सीढ़ी तंबाकू

का सेवन करना ही है 

डॉ. मधु का कहना है नशापान की पहली सीढ़ी तंबाकू का सेवन करना ही है। सबसे चिंतनीय बात यह है कि 13 वर्ष से 15 वर्ष के बच्चे प्रदेश में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं और महिलाएं ( उम्र दराज ) तक तंबाकू या तंबाकू उत्पादों के सेवन से अछूती नहीं हैं। इनकी पहचान करना, उन्हें इलाज के लिए प्रेरित करना और उनकी काउंसिलिंग कर  उनके मन में तंबाकू सेवन नहीं करने के  विचारों को पनपने के लिए प्रेरित करना, सबसे मुश्किल कार्य है।  मधु  कहती हैं जिला प्रशासन की पहल पर तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम से जुडऩे के बाद नशा सेवन नहीं करने के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ स्पर्श क्लिनिक पहुंचाने का कार्य कर रही हूं परंतु तंबाकू या नशा का सेवन कर मानसिक रोगियों की पहचान, देखभाल और ऐसे लोगों के प्रति सामाजिक चेतना जगाने की अभी और जरूरत है।

महिलाओं के लिए समुदाय की सोच में और बदलाव लाने की जरूरत -

 डॉ. मधु कहती हैं कोविड काल के दौरान मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में काफी जागरूकता आई है। अब लोग अन्य स्वास्थ्यगत समस्याओं के समान ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समझते हुए अस्पताल या स्पर्श क्लीनिक पर पहुंच रहे हैं।


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