धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 7 फरवरी । आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान के अंतर्गत ब्रह्मा कुमारीज नगरी में बसंत पंचमी महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की अतिथि ललिता साहू, पार्षद महेश्वरी साहू, अध्यक्ष ब्लॉक महिला प्रकोष्ठ नगरी कुलेश्वरी ध्रुव, नीलकमल ठाकुर, व्याख्याता फुलेश्वरी साहू, झरना साहू थी।
कार्यक्रम का आगाज ब्रह्माकुमार पितांबर भाई ने सुमधुर गीत गाकर किया। तत्पश्चात ब्रह्माकुमारी बी यदु बहन एवम नागेश बहन ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी माधुरी दीदी ने कहा कि माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था। इस दिन को ज्ञान की देवी सरस्वती और धन की देवी लक्ष्मी का जन्म दिवस भी माना जाता है। इस पंचमी को बसंत पंचमी कहा जाता है क्योंकि वसंत पंचमी के दिन ही वसंत ऋतु का आगमन होता है। ब्रह्मांड के संस्थापक ब्रह्मा जी ने जीवो और मनुष्यों की रचना की और जब श्री सृष्टि को देखा इसमें कोई आवाज वाणी नहीं थी, भगवान विष्णु के आदेशानुसार ब्रह्मा जी अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिडक़ा जिसमें अद्भुत शक्ति रुपी ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई मां शारदे की एक हाथ में वीणा जो ज्ञान सुनाने का प्रतीक है और दूसरे हाथ में वेद जो ज्ञान का भंडार के प्रतीक हैं। मां शारदे को श्वेत वस्त्र दिखाते हैं जो स्वच्छता व शांति का प्रतीक है। वाहन हंस है जिसकी विशेषता है कि वह कंकड़ पत्थर छोड़ ज्ञान रूपी मोती चुगता है तथा व्यर्थ को अलग कर देता है। इसी प्रकार मां शारदे की वर मुद्रा समभाव रखने का प्रतीक है।
नीलकमल ठाकुर ने कहा कि बसंत पंचमी पर प्रकृति हरी भरी रहती है और भगवान महाकाल भी आनंदित होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं इस अद्भुत पल का साल भर सबको इंतजार रहता है।
महेश्वरी साहू ने कहा बसंत पंचमी मुख्य रूप से प्रकृति और भारतीय परंपरा से जुड़ा हुआ त्यौहार है। बसंत पंचमी बसंत ऋतु की ताजगी और खूबसूरती का उत्साह होता है। जब सूर्य की किरणें और दिनों से उजली हो खेतों में पीली सरसों लहराए बागों में पीले फूल खिल उठे पेड़ों पर अजब हरियाली हो तो हमें समझ जाना चाहिए। बसंत पंचमी का आगमन हो चुका है। इस समय सभी के मन में एक अलग ही सकारात्मक ऊर्जा रहती हैं।
ललिता साहू ने कहा कि बसंत पंचमी खुशियों के साथ-साथ शिक्षा ज्ञान और समृद्धि का त्यौहार है। अंत में स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का संचालन ब्रम्हाकुमारी निशा बहन ने किया।


