धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 7 सितंबर। पोला छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख पारम्परिक त्यौहार है। छत्तीसगढ़ के आय का प्रमुख स्रोत कृषि है तथा कृषि में मवेशियों का बड़ा योगदान होता है।कृषि में ज्यादातर बैलों का प्रयोग होता है।मवेशियों की आराधना,पूजा तथा उनको धन्यवाद देने के लिए इसी दिन किसान तथा अन्य लोग पशुओं की विशेष कर बैल की पुजा करते हैं। मिट्टी से बनी नंदी बैल की विशेष पूजा घरों घर होती है।
नगर में पारम्परिक त्यौहारों के प्रति गहरी अभिरुचि है। पोला पर्व पर नगर के मुख्य मार्ग पर नंदी बैल तथा चुकी पाना की बहुत सारी दूकानों का सजना इस बात का परिचायक है।चुकी पाना मिट्टी से बनी बच्चों की खिलौना है जिसमें आटा चक्की,कढ़ाई,बाल्टी,चुल्हे,थाली,हण्डी, चम्मच,गिलास,तवा,बेलन आदि शामिल है।
बच्चों को इन खिलौनों के प्रति काफी लगाव रहता है। बच्चे किसी चौक चौराहों या बरामदे में एकत्रित होकर चुकी पाना का खेल खेलते हैं। साथ ही पक्की मिट्टी से बनी पहिया लगे नंदी बैल को इधर उधर घुमाकर खुब मनोरंजन करते हैं। हमेशा की तरह इसका झलक नगर में देखने को मिला। नगर में इस पारम्परिक त्यौहार को उत्साह पूर्वक मनाया गया।


