‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 28 अक्टूबर। धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो पर्व शांति सद्भावना के साथ संपन्न हुआ। अब किसान खेतों में खड़ी फसल की कटाई मिंजाई के काम में लगेंगे।
दीवाली के पहले भूपेश सरकार ने किसानों के खाते में बोनस की अंतिम किस्त भेजी थी, जिसके चलते बाजार में दो दिनों तक अच्छी रौनक नजर आईं, उसके बाद फिर सन्नाटा पसर गया है। मंहगाई और आर्थिक अनिश्चितता के चलते व्यापार जगत में दीपावली ने उम्मीद के मुताबिक उजियारा नहीं भरा, लेकिन आम लोगों ने त्यौहार का पूरा मज़ा लिया।
लोक परम्परा और आदिवासी संस्कृति में ईश्वर ग़ौरी गौरा का त्योहार प्रति वर्ष धनतेरस के दिन से शुरू होकर गोवर्धन पूजा तक मनाया जाता है। नगर के गोंड पारा, बैगा पारा, सरोजनी चौक, दानीपारा, सिरसा चौक, पचरीपारा, संजय नगर, डिपो मार्ग, इंदिरा नगर आदि स्थानों में बने गौराचौरा में हर साल गौराउत्सव मनाया जाता है।
दानीपारा गौरा समिति से जुड़े रमेशर साहू, रोहित साहू, बिसहत मिस्त्री, पार्षद डुमेश साहू, लखन साहू, विजय नगारची, रामप्यारे साहू, चेतन, राजेश, बाबूलाल चक्रधारी, मगन बघेल, प्रदीप साहू, रुपेश धीवर, त्रिभुवन साहू, बिष्णुराम, घूरऊराम, धनूष साहू, सुरेश निर्मलकर, कोल्हू साहू, भरत देवांगन, ऋषि सिन्हा, कामीन, उर्वशी बाई, राकाबाई, रोहिणी साहू, कचरा यादव, आदि ने बताया कि दानीपारा में सभी जाति के लोग मिलकर गौरी-गौरा पर्व मनाते हैं। जिसमें पारंपरिक गड़वा बाजा में गौरा गीत गाकर फ़ूल कुचरने, तालाब से मिट्टी लाने, रात्रि में गौरा जगाने, करसा परघाने से लेकर गौरा गौरी की बारात निकालने की रस्में विधि विधान से पुरी की जाती है। इस बार सूर्य ग्रहण होने के कारण लक्ष्मी पूजा के एक दिन बाद भव्य शोभायात्रा निकाल बाजे-गाजे के साथ गौरी-गौरा का विसर्जन किया गया।
26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा की गई, गांधी चौक में यादव समाज द्वारा मंड़ाई निकाल कर गौवंश की पूजा अर्चना कर गोबर का तिलक लगाकर सभी को पर्व की बधाई दी। अगले दिन कई गांवों में मातर मनाया गया।