धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 29 अक्टूबर। दिवाली के बाद पहले शुक्रवार को गंगरेल मड़ई का आयोजन मां अंगार मोती परिसर में हुआ। मड़ई में 52 गांवों के देवी-देवता शामिल हुए। पूजा-अर्चना कर नि:संतान महिलाओं ने पुत्र प्राप्ति की कामना की। मड़ई में क्षेत्र के हजारों लोगों की भीड़ लगी।
28 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे मड़ई का कार्यक्रम शुरू हुआ, जिसमें 52 गांवों से पहुंचे देवी-देवता के छत्र और उनके पुजारी विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे। आंगा देवता के दर्शन के लिए भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। माता अंगारमोती की 3 परिक्रमा पूरी करने के बाद सिरहा, बैगाओं ने गड़वा बाजा की धुन पर विभिन्न देवी-देवताओं के छत्र को खूब नचाया। इसके बाद संतान प्राप्ति की कामना को लेकर महिलाओं ने माता अंगारमोती के प्रांगण में दंडवत होकर प्रणाम किया। बैगाओं ने उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।
वाटर स्पोर्ट्स का लिया आनंद
इस साल किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होने के चलते पिछले साल की तुलना में गंगरेल मड़ई में श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए। यहां बांध के चारों ओर फैले मनोरम दृश्यों का भी लुत्फ उठाया। साथ ही वाटर स्पोर्ट्स में जलक्रीड़ा भी किया। यहां जेट स्काई, बनाना राइड आदि वाटर स्पोर्ट्स का मजा लेने के लिए देर शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
मंदिर का इतिहास एक नजर में
मंदिर समिति के मुताबिक वर्ष 1973 में गंगरेल बांध बनने के पहले मां अंगारमोती चंवर में विराजमान थीं। बांध बनने के बाद 52 गांव इसमें समां गए। इसके बाद माता की प्रतिमा को गंगरेल बांध के निकट मंदिर बनाकर स्थापित किया गया। यहां धमतरी के अलावा रायपुर, जगदलपुर, बिलासपुर समेत अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।




