60 हज़ार से अधिक के पहुंचने की उम्मीद, तैयारी जोरों पर
अंबिकापुर,16 मई। उत्तर छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिला मुख्यालय के ग्राम तकिया में स्थित सूफी संत हजरत सैयद बाबा मुरादाबाद व मोहम्मद शाह वली रहमतुल्लाह के मजार शरीफ में 152 व उर्स पाक का आयोजन इस वर्ष भी 20,21व 22 मई को होने वाली है, जिसके तहत तैयारी जोरों पर है।
शुक्रवार को अंजुमन कमेटी अम्बिकापुर के द्वारा ग्राम तकिया में एक पत्रकार वार्ता रखी गई। इस दौरान अंजुमन कमेटी के सदर इरफान सिद्दीकी ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष में मजार शरीफ में उर्स पाक का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत तैयारी चल रही है।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन सरगुजा के द्वारा भी अंजुमन कमेटी को भरपूर सहयोग दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ग्राम तकिया में पेयजल आपूर्ति का कार्य पूरा हो गया है, वहीं सडक़ की मरम्मत कार्य चल रहा है इसके साथ ही उर्स के दौरान सुरक्षा व यातायात व्यवस्था के लिए भी उचित व्यवस्था किया जा रहा है।
इस दौरान अंजुमन कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष दानिश रफीक ने बताया कि अम्बिकापुर के इतिहास में पहली बार सभी 13 मस्जिदों कमेटियों के द्वारा एक साथ एक राय के साथ उर्स पाक में साथ आ रहे हैं,सभी के एक राय से उर्स पाक का कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।
दानिश रफीक ने बताया कि इस बार तीन दिवसीय उर्स पाक में तकऱीबन 60 हजार से ज्यादा लोग आने की उम्मीद है।
इस दौरान गुड्डू सिद्दीकी,हाजी रहमत अली,हाजी यासीन,सन्नुवर अली,इरशाद खान, तनवीर हसन,हसीब खान,पीकू खान,नौशाद सिद्दीकी , रिजवान सिद्दीकी,राजू हसीब खान,इमरान सिद्दीकी, अनिक खान,इरफान खान,सिकंदर खान,मजहर अख्तर फिऱदौसी,अजहर,सोनू ,मोनू,तहसीन अख्तर,पप्पू खान, इमरान खान सहित काफी संख्या में समाज के प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे।
ज्ञात हो कि अम्बिकापुर नगर के उत्तर-पूर्व की ओर तकिया गांव है और इसी गांव में बाबा मुरादशाह वली और बाबा मोहब्बतशाह वली के साथ एक छोटी मजार भी है, जिसे उनके तोते की मजार भी कहा जाता है। इस मजार पर दुआ मांगने के लिए सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग इकठ्ठा होते हैं। मजार पर चादर चढ़ाते हैं, लोग मन्नते मांगते हैं। बाबा मुरादशाह अपने मुरादशाह नाम के मुताबिक मुरादें भी पूरी करते हैं।
मजार के पास ही देवी स्थान भी है,जो सांप्रदायिक सौहार्द का जीवंत उदहारण है। कहा जाता है बाबाओं के मजार शरीफ में हर दुख तकलीफ का इलाज होता है,लगभग 400 से 500 साल पुरानी इस मजार पर हर जाति-धर्म के लोग आते हैं।अम्बिकापुर के तकिया मजार में आने वाले लोग बाबा से दुआ मांगने के साथ-साथ तोते की मजार पर भी चादर चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं.ऐसा माना जाता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वो कुबूल होती हैं।
लोग मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों से यहां दर्शन करने आते हैं।
दंतकथाओं में यह भी बताया जाता है कि आज से सैकड़ों साल पहले जब हजरत बाबा मुराद्शाह वली व मोहब्बत शाह वली अम्बिकापुर के तकिया ग्राम पहुंचे थे,उस दौरान वे एक गरीब कुम्हार के घर रुके थे उस दिन कुम्हार के घर चुल्हा नहीं जला था,हजरत बाबा मुरादशाह वली ने जब कुम्हार से इसका कारण पूछा तो कुम्हार ने बताया कि बाकी पहाड़ी पर एक राक्षसी रहती है,जो हर दिन गांव के एक व्यक्ति की बलि लेती है,आज मेरे एकलोता पुत्र की बारी है,ये बात सुनते ही हजरत बाबा मुरादशाह वली ने कहा कि तुम चिंता मत करो, घर में चूल्हा जलाओ.खाना बनाओ और मुझे भी खिलाओ. आज मैं आपके बच्चे की जगह उस पहाड़ पर जाऊंगा। हजरत बाबा मुरादशाह वली ने कुम्हार के घर पर भोजन किया,और पहाड़ की तरफ चल पड़े,जैसे ही बाबा पहाड़ पर पहुंचे राक्षसी हजरत बाबा मुराद्शाह वली को खाने का प्रयास करने लगी,तब बाबा ने अपने चिमटे से राक्षसी के नाक और कान को पकडक़र दबा दिया और उसकी नाक कट गई।राक्षसी द्वारा पानी मांगने पर बाबा मुरादशाह वली ने अपने चिमटे से पहाड़ खोदकर पानी निकाला.जिसे वर्तमान में बांक नदी के नाम से जाना जाता है।बाबा के चमत्कार से प्रभावित राक्षसी वहीं रहना चाहती थी.उसकी बात मानकर बाबा मुरादशाह ने उसे अपने साथ रख लिया,तभी से बाबा के मजार के पीछे मंदिर बनाया गया.जिसे नक्कटती देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।