‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 फरवरी। आयकर विभाग की असेसमेंट विंग ने जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज प्रोजेक्ट्स (आई) प्रा. लि. (जेएईएस) में बड़ी कर चोरी का खुलासा किया है। 30घंटे की जांच में बोगस खर्च, फर्जी कटौतियां और कर देनदारी को कृत्रिम रूप से कम करने के लिए जाली बिलिंग तंत्र जैसी गंभीर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं, जो सरकार से धोखाधड़ी कर रिफंड प्राप्त करने के लिए अपनाई गई थीं। 32 करोड़ रुपये सरेंडर किया है। रात 10 बजे तक टीमें जेईएएस के ठिकानों पर डटी हुई थी।
आयकर अधिकारियों ने वित्तीय विवरणों की बारीकी से जांच की, जिसमें स्पष्ट लेखा विसंगतियां पाई गईं। इसके चलते जेएईएस को ‘हाई रिफंड’ मामला घोषित किया गया, जो कर कानूनों की खामियों का दुरुपयोग कर अनुचित कर लाभ उठाने की साजिश को दर्शाता है। जांच में डिजिटल रिकॉर्ड और भौतिक दस्तावेजों की बरामदगी से फर्जी व्यय लॉग, बोगस बिलिंग तंत्र और आय को छिपाने के सुनियोजित प्रयासों का पर्दाफाश हुआ। यह सर्वे आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 133(1) के तहत बुधवार दोपहर से शुरू होकर गुरुवार देर रात तक चला। इस पूरे अभियान की निगरानी मुख्य आयकर आयुक्त (सीसीआईटी) अपर्णा करन और प्रधान आयकर आयुक्त (पीसीआईटी) प्रदीप हेडाउ ने की, जबकि संयुक्त आयकर आयुक्त बीरेंद्र कुमार और उप आयकर आयुक्त राहुल मिश्रा ने 26 सदस्यीय प्रवर्तन दल का नेतृत्व किया, जिसमें 20 कर जांचकर्ता और 6 सशस्त्र पुलिसकर्मी शामिल थे, ताकि कार्रवाई निर्बाध रूप से संचालित की जा सके।
आयकर विभाग की असेसमेंट विंग से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, जेएईएस निदेशक—धर्मेंद्र सिंह, जोगेंद्र सिंह और अमरेंद्र सिंह—से गहन पूछताछ की गई, जिसके बाद उन्होंने 32 करोड़ रुपये की कर चोरी की बात स्वीकार की। इसके चलते, उन पर 10.75 करोड़ रुपये का अग्रिम कर लगाया गया है, जबकि 25 लाख रुपये का अतिरिक्त जुर्माना अब भी बकाया है।