रायपुर

साव, तोखन के घेराव पर बैज बोले- सरकार के विरोध में गुस्सा उफान पर
11-Jul-2025 7:04 PM
साव, तोखन के घेराव पर बैज बोले- सरकार के विरोध में गुस्सा उफान पर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 11 जुलाई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि आज सभी अखबारों में सरकार ने खबर छपवाया है कि सरकार ने महिलाओं को पोषक आहार रेडी टू ईट का काम दिया है। मोदी की गारंटी पूरी हो गयी। जबकि हकीकत यह है कि केवल रायगढ़ जिले में सिर्फ 10 महिला समूहों को यह काम दिया गया है। भाजपा ने चुनाव में प्रदेश भर में सभी जिलों पोषक आहार का काम स्व सहायता समूहो को देने का वायदा किया था। हमारी मांग है कि सरकार अपने वादे के अनुसार प्रदेश के सभी जिलो में सभी स्थानों पर महिला स्व सहायता समूहों को काम दे। कहा जा रहा 6 जिलों को पायलेट प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं को दिया जायेगा। पूरे जिलों काम क्यों नहीं दे रहे?

बैज ने कहा कि दुर्भाग्य जनक है कि प्रदेश का शिक्षा विभाग अव्यवस्था का केन्द्र बन चुका है। सरकार ने युक्तियुक्तकरण के नाम पर बड़ी संख्या में शिक्षकों के ट्रांसफर किये, उसके बावजूद प्रदेश के अनेक स्थानों पर स्कूलों में शिक्षक नहीं होने के कारण बच्चे हड़ताल कर रहे, पालक स्कलों में ताला लगा रहे है। सरकार के द्वारा किया गया युक्तियुक्तकरण वसूलीकरण का अभियान बन कर रह गया है। बच्चे पालक परेशान हो रहे है। भाटापारा, धमतरी, आरंग, महासमुंद, सरगुजा, बस्तर सभी जगह शिक्षको की कमी कारण बच्चे आंदोलन कर रहे।

राज्य सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा अब ऊफान पर आ गया है, लोग अपने सामान्य कामकाज के लिये मंत्रियों का रास्ता रोक रहे। बिलासपुर के पहले मनियारी के पास लोगो ने सडक़ के लिये केन्द्रीय मंत्री तोखन साहू का घेराव कर दिया, रास्ता रोक लिया। इसके पहले प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरूण साव का काफिला भी जनता ने रोका था। जनता का भरोसा सरकार पर से उठ गया है।

खरीफ की बुवाई का समय तेजी से बीत रहा है, लेकिन किसानों को डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है किसान परेशान है, सरकार के द्वारा किसानों को पहले एनपीके का विकल्प देने की बात कही गई और अब नैनो डीएपी का झांसा दे रहे हैं, लेकिन वह भी नहीं मिल रहा है।

 असलियत यह है कि सरकार नहीं चाहती कि किसान भरपूर उत्पादन ले सके, ताकि समर्थन मूल्य पर कम धान खरीदी करना पड़े, यही वजह है कि खरीफ फसल की बोनी के ऐन वक्त पर खाद का कृत्रिम संकट उत्पन्न किया जा रहा है। जब किसानों के तरफ से डिमांड अप्रैल माह तक लिखाया जा चुका था, फिर सही समय में पर्याप्त मात्रा में खाद के रेक और सहकारी सोसाइटियों तक भंडारण की समुचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई?

पिछले खरीफ सीजन में समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान 27 जिलों में अभी तक खुले में पड़ा हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के समय जो 72 घंटे के भीतर परिवहन की बाध्यता थी इस सरकार ने उस नियम को बदल दिया। दुर्भावना पूर्वक मिलिंग की दर घटा दी गई जिसके चलते लाखों मीट्रिक टन धान आज भी उपार्जन केंद्रों में सड़ रहे हैं। सरकार की लापरवाही और बदइंतजामी से सोसाइटी में धान भी खराब हो रहे हैं जनता की गाढ़ी कमाई और टैक्स के पैसे का नुकसान धान की बर्बादी में हो रहा है। अनुमान है कि अभी तक 30 लाख  टन धान भीग चुका है। सरकार भीगे धान के बारे में आंकड़े सार्वजनिक करे।


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