बेमेतरा

इस बार 145 धान केंद्रों में होगी खरीदी, पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य
29-Oct-2025 3:27 PM
इस बार 145 धान केंद्रों में होगी खरीदी, पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 29 अक्टूबर। धान खरीदी सीजन की तैयारी इस बार बेमेतरा जिले में जोरों पर है। जिले में इस सत्र में 38 नई समितियों का गठन कर धान खरीदी की जाएगी। इसके साथ ही 5 उपकेंद्र और पूर्व के 102 समितियों को मिलाकर कुल 145 धान खरीदी केंद्र इस वर्ष सक्रिय रहेंगे। अब तक 1,58,520 किसानों ने 1,62,603 हेक्टेयर रकबे की उपज बेचने के लिए पंजीयन कराया है। अगले दो दिन में शेष 5,900 किसानों को पंजीयन कराना बाकी है।

 50 गांवों को मिली नई सुविधा

नई समितियों के गठन से करीब 50 गाँवों के किसानों को अपने गाँव के नज़दीक ही धान बेचने की सुविधा मिलेगी। नवीन धान खरीदी केंद्रों में मजगांव, करचुवा, पडक़ीडीह, गांगपुर, भाठासोरही, पिपरिया, साकारा, एरमषाही, तेंदुवा, झिलगा, कुंवा, मेहना, बटार, लालपुर, कंदई और चिचोली आदि ग्राम। वहीं, उपसमितियों को पूर्ण समितियों में परिवर्तित किया गया है, जिनमें ओंडिया, परसबोड़, भटगांव, मासूलगोदी, नवागांव कला, तेंदुवा, हरदी, कुही, लावातरा, बसनी, खैरझिटी, प्रतापपुर, गनिया, झुलना और मनियारी जैसे केंद्र शामिल हैं।

 समितियों में बारदाना पहुचाने का काम शुरू

इस बार अब तक 1.58 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है, जो पिछले सत्र के 1.64 लाख किसानों की तुलना में करीब 6 हजार कम है। प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि आने वाले दो दिनों में पंजीयन की औपचारिकताएं पूर्ण करें, ताकि किसी भी किसान को खरीदी से वंचित न होना पड़े।

 

35 बिंदुओं की चेकलिस्ट जारी

नए केंद्रों की तैयारी के लिए प्रशासन ने 35 बिंदुओं की चेकलिस्ट जारी की है। इसके अंतर्गत चारों ओर घेराबंदी, कंप्यूटर सेट, बिजली व जनरेटर की व्यवस्था, इंटरनेट कनेक्शन, इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीन, बायोमैट्रिक डिवाइस, बारदाना व स्टेंसिल की उपलब्धता, ऑपरेटरों की नियुक्ति, भंडारण क्षमता का निर्धारण, चबूतरा निर्माण, तारपोलिन खरीद, जल निकासी, पेयजल, सुरक्षा और रखरखाव जैसी व्यवस्थाएं अनिवार्य की गई हैं। अधिकारियों का कहना है कि अधिकांश नए केंद्रों की तैयारी अंतिम चरण में है और निर्धारित समय पर खरीदी प्रारंभ कर दी जाएगी।

एग्रीस्टेक पोर्टल बना किसानों के लिए मुसीबत

धान बेचने के लिए एग्रीस्टेक पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य है, लेकिन पोर्टल में त्रुटियां किसानों के लिए सिरदर्द बन गई हैं। किसानों ने बताया कि डेटा सुधार के लिए केवल 48 घंटे का समय मिलता है, लेकिन सुधार के लिए तहसीलदार या एसडीएम स्तर के अधिकारी कार्यालयों में उपलब्ध नहीं होते। सेमरिया निवासी नुकेलेश पटेल ने बताया कि उनके खेत का रकबा पिता के नाम पर दर्ज हो गया है।

दो दिन से कार्यालयों के चक्कर लगा रहा हूं, लेकिन अधिकारी नहीं मिल रहे। उन्होंने कहा सुधार नहीं हुआ तो धान नहीं बेच पाऊंगा। पतोरा के कुलेश्वर और अन्य किसानों ने भी बताया कि खेत पर काबिज रहने के बावजूद रिकॉर्ड में नाम नहीं आ रहा है।


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