बेमेतरा

मानव निर्मित जंगल में न चारा, न पानी, तड़प-तड़प कर मर रहे मवेशी
26-Oct-2025 5:50 PM
मानव निर्मित जंगल में न चारा, न पानी, तड़प-तड़प कर मर रहे मवेशी

ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही के लगाए आरोप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

 बेमेतरा, 26 अक्टूबर। जिले के ग्राम उसलापुर-झिरिया क्षेत्र में कैम्पा योजना के तहत विकसित किए गए लगभग 150 एकड़ क्षेत्रफल वाले मानव निर्मित जंगल में रह रहे घुमंतू और बंदेलीन गोवंश इन दिनों भोजन और पानी के अभाव में अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं।

ग्रामीणों के अनुसार, पिछले एक महीने से प्रतिदिन कई मवेशियों की मौत हो रही है। जंगल में न तो पर्याप्त चारे की व्यवस्था है और न ही पानी का कोई स्रोत, जिससे हालात दिन-प्रतिदिन गंभीर होते जा रहे हैं।

प्रशासन की खामोशी पर उठे सवाल

आसपास के ग्राम झिरिया, उसलापुर, बिरमपुर और बिटकुली के ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने बार-बार जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि इन मवेशियों को ग्राम झालम के अभ्यारण्य या खुले वनक्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए, ताकि वे भोजन और पानी तक पहुंच सकें।

हालांकि, कई शिकायतों और निवेदनों के बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

वन अब केवल नाममात्र का

स्थानीय किसानों ने बताया कि इस क्षेत्र में वर्ष 2013 में कैम्पा योजना के तहत लगभग 75 हजार पौधे लगाए गए थे। परंतु वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते यह वन अब केवल नाममात्र का रह गया है। वर्ष 2025 में 37 हेक्टेयर में 37 हजार पौधे लगाने की नई योजना तो शुरू की गई है, लेकिन पानी और रखरखाव की व्यवस्था अब भी नदारद है।

मवेशियों को मानो दी जा रही सजा

ग्रामीणों का कहना है कि चारों ओर से घिरे इस जंगल में बंद मवेशी बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। जंगल के अंदर सैकड़ों मृत मवेशियों के कंकाल और गंदगी के ढेर फैले हुए हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है।

एक ग्रामीण ने पीड़ा जताते हुए कहा, ऐसा लग रहा है जैसे इन बेबस जानवरों को सजा दी जा रही हो।

 

गौसेवकों और ग्रामीणों ने उठाई आवाज

झिरिया निवासी ओमकार साहू ने बताया कि जंगल में रोज मवेशियों की मौत हो रही है और स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है। वहीं प्रमिल तिवारी ने प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यह संकट अब विकराल रूप ले चुका है।

गौसेवकों ने मांग की है कि मवेशियों के लिए तुरंत चारा और पानी की व्यवस्था की जाए तथा जंगल के भीतर बोरवेल की खुदाई करवाई जाए।

प्रशासन और आयोग का रुख

गौसेवा आयोग के अध्यक्ष बिसेसर पटेल ने कहा कि गायों की मौत की जानकारी स्थानीय प्रशासन और वन विभाग से मांगी जाएगी। इस संबंध में एक टीम भेजकर स्थल निरीक्षण किया जाएगा। वहीं कलेक्टर रणवीर शर्मा ने कहा कि मामले की जानकारी वन विभाग को दी जाएगी और मवेशियों के बचाव हेतु आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।


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