राजपथ - जनपथ
पहले स्टेडियम और अब होली...
छत्तीसगढ़ में कोरोना जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उसका कोई मुकाबला महाराष्ट्र से तो नहीं है, लेकिन अपने खुद के बीते हुए कल से जरूर है। बहुत से लोगों का यह मानना है कि सडक़ सुरक्षा के नारे वाला जो क्रिकेट टूर्नामेंट राजधानी रायपुर में हुआ, और जहां से लौटकर सचिन तेंदुलकर और यूसुफ पठान कोरोना पॉजिटिव निकले हैं, उसी स्टेडियम ने कोरोना फैलाया है। दरअसल स्टेडियम में बैठे लोग जितना क्रिकेट देखना चाहते थे, उतना ही टेलीकास्ट के कैमरों को अपना चेहरा दिखाना भी चाहते थे, और बिना मास्क सेल्फी लेना चाहते थे। नतीजा यह निकला कि स्टेडियम में मास्क का कोई काम ही नहीं रह गया था। कुछ लोगों का अंदाज है कि इस मैच को देखने के लिए नागपुर से भी बड़ी संख्या में लोग आए थे जो कि कोरोना का एक सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बना हुआ है। ढेर सारे मंत्री दुर्ग जिले के हैं, खुद मुख्यमंत्री दुर्ग जिले के हैं, इसलिए क्रिकेट के पास वहां बहुत बंटे थे, और इसी वजह से आज दुर्ग प्रदेश में कोरोना का भयानक केन्द्र बना हुआ है, और इसी वजह से राजधानी रायपुर भी रोज पांच सौ से अधिक नए कोरोना पॉजिटिव पा रहा है।
छत्तीसगढ़ में यह नौबत पिछले एक बरस में दसियों हजार लोगों के कोरोना पॉजिटिव हो जाने के बाद है जिनमें से अधिकतर को यह दुबारा नहीं हो रहा है। इसके अलावा रोजाना लाख लोगों को कोरोना-वैक्सीन भी लग रहा है, फिर भी पॉजिटिव लोगों की गिनती छलांग लगाकर आगे बढ़ रही है। एक बार फिर अस्पतालों को तैयार किया जा रहा है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज बड़ी संख्या में पहुंच सकते हैं।
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस और भाजपा के हजारों चुनाव प्रचारक असम और बंगाल गए हुए हैं, और वहां वे भीड़ की धक्का-मुक्की के बीच काम कर रहे हैं, और वहां से लौटकर कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ आने लगेंगे। फिलहाल एक बात साफ दिखती है कि क्रिकेट मैच के बाद होली कोरोना को और फैलाने जा रही है, और मास्क न होने पर लगने वाला पांच सौ रूपए का जुर्माना भी किसी को नहीं डरा रहा, और न ही कोरोना किसी को डरा रहा।
कलेक्टोरेट में होली का रंग
कोरोना की वजह से सरकारी दफ्तरों में रंग-गुलाल खेलने पर रोक लगाई गई है। मगर रायपुर कलेक्टोरेट में आदेश की धज्जियां उड़ाई गई। होली के पहले वर्किंग डे में विशेषकर खाद्य शाखा में अफसर-कर्मियों ने खूब रंग-गुलाल उड़ाए। एक-दूसरे पर जमकर रंग लगाए। नाच-गाने में तो मास्क और सामाजिक दूरी रखने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। जिस दफ्तर पर जिलेभर में कोरोना के निर्देशों का सख्ती से पालन कराने की जिम्मेदारी होती है वहां ही त्योहार के पहले ही इसकी अवहेलना पर प्रशासनिक हल्कों में जमकर चर्चा है।
दारू पीने के साथ-साथ...
छत्तीसगढ़ में सरकार किसी भी पार्टी की रहे, सार्वजनिक जगहों पर बैठकर दारू पीने वाले लोगों पर कार्रवाई करने से पुलिस और आबकारी दोनों के लोग बचते हैं। इसकी एक वजह यह रहती है कि सरकार दारू के धंधे की कमाई कम नहीं होने देना चाहती, और अगर तालाब, बगीचे, फुटपाथ पर लोगों को गिरफ्तार होना पड़े, तो दारू की बिक्री तो घट ही जाएगी। इसलिए एक अघोषित दबाव बना रहता है कि शराबियों को न पकड़ा जाए, वरना नए साल और क्रिसमस-होली की पार्टियों से परे भी रोज अगर सडक़ों पर गाडिय़ां रोककर जांच की जाए तो रोज हजारों गिरफ्तारियां हो सकती हैं। यह तो हुई घोषित बात, और फिर थानों के स्तर पर यह अघोषित अनदेखी भी होती है कि लोगों को न पकड़ा जाए। नतीजा यह होता है कि तालाबों के किनारे, बगीचों और मैदानों में लोग न सिर्फ दारू पीते बैठे रहते हैं बल्कि वहां से उठने के पहले बोतलों को फोड़ भी देते हैं नतीजा यह होता है कि अगली सुबह घूमने वाले लोग और खेलने वाले बच्चे जब वहां पहुंचते हैं तो उनके जख्मी होने का खतरा रहता है। बोतल फोडऩे से अच्छा है उसे छोड़ देना ताकि कुछ गरीब बच्चे उसे बीनकर, बेचकर चार पैसे कमा सकें, और लोगों के पैर जख्मी न हों।
शहर के जिस आऊटडोर स्टेडियम के अहाते में आए दिन मंत्री-मुख्यमंत्री, मेयर पहुंचते हैं, वहां भी रोज शाम लोगों की महफिल जमती है जो बोतलों के टुकड़े छोड़ जाती है। स्टेडियम कैम्पस के मालिक म्युनिसिपल का स्मार्टसिटी ऑफिस भी इसी अहाते में है, और उसकी आंखों के सामने यह स्मार्टनेस चमकती रहती है।