राजपथ - जनपथ
कैसा रहेगा बुरे साल का थर्टी फर्स्ट
सन् 2020 में कोरोना महामारी ने जिस तरह बर्बादी की उसके चलते लोग मना रहे हैं कि जल्दी से जल्दी यह बुरा साल खत्म हो जाये और नये साल का वेलकम करें। देश में अब कोरोना संक्रमण के नये मामले कम आ रहे हैं और कल ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का बयान आ गया कि जनवरी माह के किसी भी दिन से कोरोना का टीकाकरण शुरू हो जायेगा। ऐसे में न्यू ईयर का ज्यादा गर्मजोशी से स्वागत किया जाना तो बनता है।
दूसरी तरफ, ब्रिटेन में तो कोरोना के अधिक घातक तरीके से लौटने की खबर आ रही हैं। वहां क्रिसमस और न्यू ईयर के लिये कड़े प्रतिबंध हैं। भारत से भी वहां की हवाई सेवा रोकने की मांग उठ रही है। अपने देश में भी अभी दहशत कम नहीं हुई। कर्नाटक जैसे राज्यों ने न्यू ईयर पर सार्वजनिक कार्यक्रम रखने पर रोक लगा रखी है। पर छत्तीसगढ़ में रोक नहीं है। प्रशासन से सम्पर्क कर हर साल न्यू ईयर पार्टियां रखने वाले होटल, रेस्तरां मालिक जानकारी जुटा रहे हैं। बहुत कड़ी पाबंदियां नहीं है। जैसे 100 की क्षमता वाला हॉल है तो 50 को ही अनुमति मिलेगी। सोशल डिस्टेंस का पालन करना, तय समय पर ही पटाखे जलाना, संभवत: रात 11.30 से 12.30 तक तय किया जा रहा है। पटाखे जलाने और पार्टियों को निर्धारित समय पर खत्म नहीं करने पर 20 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक के जुर्माने की चेतावनी भी दी गई है।
जो लोग न्यू ईयर पार्टियां रखने वाले हैं उन्हें किसी कार्रवाई की ज्यादा परवाह है, ऐसा नहीं लग रहा। ये सब प्रतिबंध तो शादी, ब्याह, बर्थ डे पार्टियों के लिये पहले से ही लागू है। कार्रवाई तो कहीं हो ही नहीं रही।
दूसरी तरफ, अमरकंटक से लेकर चिल्फी, अचानकमार, बारनवापारा, मैनपाट आदि के सरकारी, गैर सरकारी ज्यादातर रिसोर्ट, विश्राम गृह के अधिकांश कमरे भी बुक हो चुके हैं। वहां इत्मीनान से सोशल डिस्टेंस के साथ न्यू ईयर मनाया जा सकेगा।
भाजपा में भी पदों की प्रतीक्षा
कांग्रेस में जहां निगम-मंडलों में नियुक्ति की कार्यकर्ता लम्बे समय से प्रतीक्षा कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ भाजपा के कार्यकर्ताओं में संगठन के पदों पर नई नियुक्तियों का इंतजार हो रहा है। सत्ता से बाहर रहने पर संगठन के पदों का महत्व बढ़ जाता है और उसका लाभ सरकार बनने पर मिलता भी है। इसलिये बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं को नई नियुक्तियों का इंतजार है।
कुछ दिन पहले जब पार्टी की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने छत्तीसगढ़ दौरा किया तो कई निर्देश संगठन के नेताओं को देकर गई थीं। उन्होंने सभी जिलों में कार्यकारिणी के पुनर्गठन, रिक्त जिलों में नये अध्यक्षों की नियुक्ति, मोर्चा प्रकोष्ठों में नियुक्ति का निर्देश दिया था। इन सब कामों के लिये 15 दिसम्बर की तारीख तय की गई थी पर कई जिलों में कार्यकारिणी नहीं बनी, कुछ के नये अध्यक्ष भी तय होने हैं। मोर्चा, प्रकोष्ठों में तो प्रदेश स्तर की कार्यकारिणी नहीं बन पाई, जिले के स्तर पर भी अब तक इसे हो जाना चाहिये था, जिसमें जाहिर है काफी वक्त लगेगा।
निर्देशों के मुताबिक अभी-अभी प्रशिक्षण शिविरों की शुरुआत हुई है। ऐसा लगता है कि सत्ता के न होने पर कार्यकर्ताओं को ही नहीं नेताओं को भी रिचार्ज करना मुश्किल हो जाता है। ऐसा तो तब और मुश्किल है जब कम से कम तीन साल का लम्बा इंतजार करना हो।