दौर है बदलाव का
प्रदेश भाजपा संगठन में बदलाव का दौर चल रहा है। मंडल से लेकर जिलाध्यक्ष बदले जा रहे हैं। नए चेहरों को मौका दिया गया है। इन सबके बीच प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव के बदले जाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि किरणदेव को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है।
जगदलपुर के विधायक किरणदेव, महापौर भी रहे हैं। उनकी साख अच्छी है, और बहुत कम समय में कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बनाए रखने में सफल रहे हैं। पार्टी हाईकमान ने राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए चुनाव अधिकारी बनाया है। यद्यपि प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन पार्टी के अंदरखाने में किरणदेव के उत्तराधिकारी के नाम पर मंथन चल रहा है। इनमें पूर्व स्पीकर धरमलाल कौशिक का नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं।
कौशिक, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की पसंद माने जाते हैं। वो पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं। लिहाजा, पार्टी उनके नाम पर विचार कर सकती है। इन सबके बीच में प्रदेश उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा का नाम भी उभरा है। शिवरतन, पार्टी के सभी गुटों के साथ समन्वय बनाए रखने में माहिर माने जाते हैं। कौशिक और शिवरतन से परे जिन दो नामों पर भी चर्चा हो रही है उनमें राजनांदगांव के पूर्व सांसद मधुसूदन यादव व दुर्ग के विधायक गजेन्द्र यादव हैं।
गजेन्द्र को लेकर यह कहा जा रहा है कि यदि उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिलती है, तो उन्हें प्रदेश संगठन की कमान सौंपी जा सकती है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि अहम पदों की नियुक्ति में जाति समीकरण को भी ध्यान में रखा जाएगा। कुल मिलाकर मकर संक्रांति से पहले शीर्ष पदों पर नियुक्ति के संकेत हैं। देखना है आगे क्या होता है।
कांग्रेस में घर वापिसी आसान नहीं
नगरीय निकाय, और पंचायत चुनाव से पहले कांग्रेस ने निलंबित-निष्कासित नेताओं की वापसी का प्लान तैयार किया था, उसे झटका लगता दिख रहा है। पार्टी ने सीनियर नेताओं की समिति भी बनाई थी। समिति में प्रमुख रूप से जनता कांग्रेस के विलय प्रस्ताव पर मुख्य रूप से चर्चा होनी थी। मगर औपचारिक रूप से समिति की बैठक नहीं हो पाई है।
बताते हैं कि जोगी परिवार के कांग्रेस में शामिल करने के प्रस्ताव का पार्टी के अंदर खाने में काफी विरोध हुआ है। कर्मा परिवार, और पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने तो हाईकमान तक अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। यही नहीं, जोगी परिवार के खिलाफ पूर्व सीएम भूपेश बघेल, और टीएस सिंहदेव भी एकजुट हो गए हैं। इसका नतीजा यह रहा कि समिति की बैठक ही टालनी पड़ी। इसी तरह बृहस्पति सिंह, पूर्व विधायक अनूप नाग की वापसी भी विरोध की वजह से नहीं हो पा रही है। कुल मिलाकर अगले कुछ दिनों में पार्टी निष्कासित नेताओं की पार्टी में वापसी के मसले पर अपना रुख साफ कर सकती है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
प्रवासी पक्षी कैलेंडर में उतरे
वर्ष 2025 के इस टेबल बुक-कम-कैलेंडर में वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर और पत्रकार शिरीष डामरे की बेहतरीन तस्वीरें शामिल हैं। इसमें चार दुर्लभ पक्षियों की तस्वीरें हैं, जिन पर शोध के लिए टैग लगाए गए हैं, जो इनके प्रवास और दूरी से संबंधित जानकारी प्रदान करते हैं। इनमें एक लेसर सैंड प्लोवर है जिसे मुंबई में टैग लगाया गया। टैग की गई यह चिडिय़ा, प्रवास के दौरान अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरी पक्षी बार-हेडेड गूज है जिसे मंगोलिया में टैग किया गया था। यह चिडिय़ा हिमालय की ऊंचाइयों को पार कर बिलासपुर पहुंची थी। एक यूरेशियन व्हिम्ब्रेल की तस्वीर है, जिसे मेडागास्कर के द्वीप में टैग की गई यह पक्षी सात समंदर पार कर बेमेतरा के इलाके में देखी गई थी। इसमें जीपीएस लगा हुआ था। साथ ही इंडियन स्कीमर की तस्वीर है, जिसे सवाई माधोपुर में खींची गई है। इसे चंबल में टैग किया गया था। इसके अलावा छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की कई दुर्लभ पक्षियों की अद्भुत तस्वीरें भी शामिल हैं।
स्टेडियम में दीपोत्सव नहीं
हिंदी पंचांग के मुताबिक 11 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा को एक साल पूरा होने जा रहा है। इस मौके पर देश-प्रदेश में कई स्थानों पर उत्सव मनाने की तैयारी हो रही है। राजनांदगांव में पांच लाख दीप प्रज्ज्वलित करने का निर्णय एक संगठन सनातन धर्म सेवा परिवार ने लिया है। इसकी तैयारी काफी दिनों से चल रही है। आयोजन के लिए राजा दिग्विजय सिंह स्टेडियम को जगह तय किया गया। पर तैयारी को तब झटका लगा जब क्रिकेट एसोसियेशन ने इसके लिए सहमति देने से मना कर दिया। इसके चलते जिला प्रशासन ने भी इंकार कर दिया। अब शायद नई जगह तलाशनी होगी, या फिर किसी तरह से एसोसिएशन को सहमत करना पड़ेगा। एक तर्क यह है कि स्टेडियम का इस्तेमाल खेल के लिए ही किया जाना चाहिए। दूसरा तर्क आयोजकों की ओर से है, जिनका कहना है कि यह स्टेडियम नगर की जनता की आर्थिक सहायता से बना है। इसका उपयोग केवल खेल के नहीं बल्कि अन्य बड़े सार्वजनिक आयोजनों के लिए किया जा सकता है। राम मंदिर का निर्माण भाजपा के संकल्पों में से एक था। राज्य में भाजपा की ही सरकार होने के बावजूद क्रिकेट एसोसिएशन ने स्टेडियम देने से मना किया है। इस पर थोड़ी हैरानी भी हो सकती है।