राजनांदगांव

नॉन प्रेक्टिस एलाउंस लेकर खुलेआम निजी अस्पतालों में चिकित्सक दे रहे सेवाएं
10-Dec-2024 3:29 PM
नॉन प्रेक्टिस एलाउंस लेकर खुलेआम निजी अस्पतालों में चिकित्सक दे रहे सेवाएं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
राजनांदगांव, 10 दिसंबर।
राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के कई चिकित्सक नॉन प्रेक्टिस एलाउंस (एनपीए) लेकर खुलेआम निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। कई चिकित्सकों ने नियमों को ताक में रखकर निजी अस्पतालों में गैर चिकित्सकों के साथ मिलकर अस्पताल खोल रखा है। कुछ अस्पतालों में चिकित्सकों की हिस्सेदारी भी है। 

राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों के इस रवैये से सरकार को भ्रम में रखा गया है, बल्कि मेडिकल कॉलेज में निर्धारित समय तक ड्यूटी करने के बजाय चिकित्सक निजी अस्पतालों में उपचार कर अपनी कमाई में इजाफा कर रहे हैं। 

राज्य सरकार अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों के लिए एनपीए के रूप में अतिरिक्त भत्ता दे रही है। इसके पीछे चिकित्सकों की सरकारी अस्पतालों में अधिकतम  समय तक सेवाएं लेना है। आम मरीजों की सेहत और सहूलियत के लिहाज से सरकार मूल वेतन का 35 फीसदी एनपीए चिकित्सकों को प्रदान कर रही है। यानी किसी चिकित्सक का मूल वेतन यदि 50 हजार है तो चिकित्सक को 17500 रुपए एनपीए के रूप में अतिरिक्त राशि दी जा रही है। इस बेहतर व्यवस्था के बावजूद चिकित्सकों का मोह निजी अस्पतालों को लेकर कम नहीं हो रहा है।

एक जानकारी के मुताबिक राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में कुल 70 सीनियर और जूनियर चिकित्सक  एनपीए ले रहे हैं। इससे परे कुछ चिकित्सक ऐसे भी हैं, जो एनपीए लेकर निजी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिनमें प्रमुख रूप से अनिल चंद्रा, सिद्धार्थ गुप्ता, संकेत मिंज, इति खत्री व अन्य चिकित्सक एनपीए का लाभ उठा रहे हैं। राजनांदगांव शहर में लगातार निजी अस्पताल खोले जाने का सिलसिला चल रहा है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक दोहरी कमाई के फेर में निजी अस्पतालों में दिन-रात काम कर रहे हैं। 

बताया जा रहा है कि एनपीए लेने वाले चिकित्सकों को निजी अस्पतालों में काम करने की पात्रता नहीं होती। सरकार के नियम-शर्तों को ताक में रखकर चिकित्सक कई बड़े अस्पतालों में इलाज कर मासिक  वेतन ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि लगातार कई चिकित्सकों के खिलाफ अस्पताल प्रबंधन तक शिकायत भी पहुंची है। 

तत्कालीन डीन डॉ. रेणुका गहिने ने बकायदा चिकित्सकों को ऐसे रवैये अपनाने पर फटकार भी लगाई थी। कुछ माह पूर्व पदस्थ हुए डीन डॉ. अतुल देशकर इस मामले में ढीला रूख अख्तियार किए हुए हैं। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों की गुटीय लड़ाई भी हावी है। ऐसे में चिकित्सकों पर कार्रवाई करने के लिए डीन काफी समय ले रहे हैं।
बहरहाल राजनांदगांव मेडिलक कॉलेज में चिकित्सकों की कमी के बीच सरकारी चिकित्सक निजी अस्पतालों से जुडक़र व्यक्तिगत लाभ पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
 


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