राजनांदगांव

नक्सलग्रस्त औंधी के सरकारी अस्पताल के एक डॉक्टर पर 40 गांव के इलाज का भार
09-May-2023 1:08 PM
नक्सलग्रस्त औंधी के सरकारी अस्पताल के एक डॉक्टर पर 40 गांव के इलाज का भार

10 बिस्तर अस्पताल में लैब टेक्नीशियन-एएनएम और नर्सिंग सिस्टर एक-एक कर्मी कार्यरत, ड्रेसर-फार्मास्टि का पद खाली  
प्रदीप मेश्राम

राजनांदगांव, 9 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। मोहला-चौकी जिलें के आखिरी छोर पर स्थित औंधी के सरकारी अस्पताल की राजनीतिक और प्रशासनिक उपेक्षा से इलाके की स्वास्थ्य सुविधा लचर हालत में है। औंधी क्षेत्र के 40 गांव को सरकारी स्तर पर मिलने वाली बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा कागजी घोड़ा साबित हो रही है। आलम यह है कि करीब दस साल से एकमात्र चिकित्सक पर दर्जनों गांवो के उचित इलाज का भार है। वही दूसरे पदो में भर्ती करने पर प्रशासन का ध्यान नहीं है।

लैब टेक्नीशियन समेत अन्य तकनीकी पदों में एक-एक कर्मी काम का बोझ लिए अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। 10 बिस्तर वाले इस अस्पताल का बुनियादी ढांचा सिर्फ दिखावा ही साबित हो रहा है। बताया जाता है कि एकमात्र एमबीबीएस चिकित्सक इलाके की लगभग 15 हजार की आबादी का उपचार कर रहे है। चिकित्सक की हालत यह है कि वह निजी जरूरतो के लिए छुट्टी पर जाने की स्थिति में नही है। मानपुर ब्लॉक के अधीन इस इलाके में आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था हमेशा से वनांचल के लिए चुनौती रही है।

मिली जानकारी के अनुसार औंधी अस्पताल में डॉ. यशपाल सुमन एक दशक से पदस्थ है। उनके अधीन लैब टेक्नीशयन, नर्सिंग सिस्टर और एएनएम के पद पर एक-एक कर्मी कार्यरत है। जबकि सालो से डे्रसर और फार्मासिस्ट के पद खाली पड़ा हुआ है। बताया जाता है कि दशको से औंधी इलाके के बांशिदे भौगोलिक बनावट के चलते प्रशासन से बेहतर इलाज की उम्मीद लगाए हुए है। घने जंगल और दुर्गम रास्तो की दिक्कतो से जूझते ग्रामीणों को हमेशा प्राथमिक उपचार के बाद मानपुर या राजनांदगांव रिफर किया जाता है। बताया जाता है कि अस्पताल की हालत बेहद ही चरमराई हुई है। यानी पर्याप्त स्टॉफ नही होने से उपचार की गुंजाईश नाममात्र की है। सूत्रों का कहना है कि बारिश के मौसम में इलाके से जहरीले सर्प और कीट-मकोड़ो के डंग मारने से मौत के मुंह में चले जाते है।

औंधी में उचित इलाज नही होने से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। बताया जाता है कि प्रशासनिक स्तर पर कोशिशें एक तरह से जुमलेबाजी साबित हुर्ई है। वही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियोंं के कोरे वादो ने भी अस्पताल की बुनियादी व्यवस्था का बंटाधार किया है। अस्पताल में दवाई की कमी आम बात हो गई है। वनांचल में अब आम धारणा बन चुकी है कि दवाई और दूसरी चिकित्सकीय सुविधा मिलना एक तरह से चमत्कार से कम नही है। एकमात्र चिकित्सक के कंधे पर पूरे इलाके का उपचार का जिम्मा छोडक़र ग्रामीणों की सेहत के साथ खिलवाड़ अब भी जारी है।

 


अन्य पोस्ट