राजनांदगांव

अप्रैल मध्य में बांध-बैराज का जलस्तर हुआ आधा
14-Apr-2023 12:50 PM
अप्रैल मध्य में बांध-बैराज का जलस्तर हुआ आधा

  सबसे बड़े बैराज मोंगरा की जल क्षमता 50 फीसदी घटी, खातूटोला में 21 और सबसे कम सूखानाला बैराज में 3 प्रतिशत पानी 
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 अप्रैल।
गर्मी के उग्र रूप का असर बांधों के जलस्तर पर प्रतिकूल असर पड़ता दिख रहा है। मौसम के बदलाव होते ही बढ़ते पारा से जलाशयों में भरे पानी का तेजी से वाष्पीकरण होने लगा है। वहीं पेयजल और निस्तारी की बढ़ती जरूरत  से बैराजों से छोड़े जा रहे पानी से जलस्तर घट गया है।

 राजनांदगांव जिले के करीबन 4 बड़े जलाशयों में अप्रैल के मध्य में नौबत यह आन पड़ी है कि बैराजों में संरक्षित पानी 50 फीसदी से भी कम हो गया है। सबसे बड़े बैराज मोंगरा की स्थिति देखकर पानी को लेकर हाहाकार मचने का अंदेशा बढ़ गया है। अप्रैल का पहला सप्ताह बेमौसम बारिश और ठंडी हवाओं के बीच गुजर गया। उत्तर-पश्चिम से आ रही हवाओं ने अब लोगों को भीषण गर्मी का अहसास कराया है। दिन के साथ-साथ रात का तापमान भी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले दो दिनों से औसतन 40 डिग्री सेल्सियस  तापमान में लोगों को झुलसाया है। बताया जा रहा है कि गर्म हवाओं से तपन बढ़ी है। ऐसे में प्यास बुझाने  से लेकर निस्तारी के लिए पानी की खपत बढ़ी है। राजनांदगांव शहर भीषण गर्मी में मोंगरा जलाशय पर आश्रित रहा है।

मिली जानकारी के मुताबिक मोंगरा जलाशय में फिलहाल 32.05 जलक्षमता की तुलना में 16.47 पानी भरा हुआ है। यानी बीते साल हुई अच्छी बारिश के चलते मोंगरा लबालब हो गया था। अप्रैल के महीने में  50 फीसदी पानी अलग-अलग वजहों से बैराज से छोड़ा गया है। पिछले दिनों राजनांदगांव शहर की प्यास बुझाने के लिए 2 हजार क्यूसेक पानी की एक खेप छोड़ी गई थी। खातूटोला बैराज में वर्तमान में 21.29  प्रतिशत जल भरा हुआ है।

खातूटोला बैराज की क्षमता  3.7 घनमीटर है। वहीं सूखानाला में मात्र 3 प्रतिशत जल संरक्षित है। जबकि घुमरिया नाला में लगभग 9 प्रतिशत पानी मौजूद है। चारो जलाशय अलग-अलग क्षेत्रों की जरूरतों को गर्मी के दौरान पूरा करते हैं। मोंगरा जलाशय में भरे हुए पानी से राजनांदगांव शहर  का गर्मी में प्यास बुझता है। जबकि मार्च के महीने में  पानी की बढ़ती खपत के बीच मटियामोती जलाशय के रिजर्व वाटर को मोहारा एनीकट के लिए छोड़ा गया था।

बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में जैसे-जैसे गर्मी का तेवर सख्त होगा वैसे ही पानी की खपत का दर बढ़ेगा। मानसून आने में लगभग डेढ़ माह का वक्त शेष है। बढ़ते पारा के साथ पानी को लेकर घमासान की स्थिति आगे बन सकती है।
 


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