महासमुन्द

महासमुंद, 25 जुलाई। बार-बार जीरो टॉलरेंस का राग अलापने वालों के सुशासन की सरकार में महासमुंद कृषि विभाग में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई ना करना यह सिद्ध कर रहा है कि सरकार के कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। पूरे साक्ष्यों के साथ की गई शिकायत पर अब कोई कार्रवाई नहीं करना शासन के शह पर प्रशासनिक मिलीभगत को परिललक्षित कर रहा है। उक्त वक्तव्य पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कृषि विभाग द्वारा मेटलेक पॉवर स्पेयर खरीदी में हुए 2.22 करोड़ रूपए के भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने पर व्यक्त की।
श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री श्री साय लगातार बयान देते रहते हैं कि प्रदेश में सुशासन की सरकार में जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्य हो रहे हैं। यदि ऐसा है तो कृषि विभाग में करोड़ों के भ्रष्टाचार उजागर होने पर मुख्यमंत्री को कार्रवाई के लिए किस बात का इंतजार है। शासन द्वारा जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गईए यदि शासन द्वारा कार्रवाई का आदेश दिया गया है तो उसका पालन क्यों नहीं हुआ। क्या सरकार के आदेश का प्रशासनिक अधिकारी उल्लंघन कर रहे हैं, या शासन का प्रशासन पर अंकुश नहीं है।
श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि उप संचालक कृषि कार्यालय महासमुन्द भ्रष्टाचार करने के लिये जिले में सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल बन गया है। उप संचालक कृषि कार्यालय में हुये भ्रष्टाचार की शिकायत कलेक्टर, कृषि उत्पादन आयुक्त के साथ.साथ विभागीय मंत्री तक को पुख्ता सबूतों के साथ अप्रैल 2025 से लगातार की गईं। कार्रवाई नहीं होने पर स्मरण पत्र भी इन्हीं अधिकारियों को भेजा गया। उसके बावजूद आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई।
विभागीय मंत्री के संज्ञान में मामला आने के बाद भी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होना यह प्रमाणित करता है कि कहीं न कहीं सत्ता संरक्षण में ये अधिकारी खुलेआम लूट मचा रखा है। इसी कार्यालय के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा ऑनलाइन के माध्यम से भ्रष्टाचार की राशि अपने खाते में ली गई है। इसकी भी शिकायत कलेक्टर महासमुन्द को 16.04.2025 को किये जाने के बाद भी किसी तरह की कोई जांच कार्यवाही न होना कई तरह के संदेहों को जन्म देता है।
विभागीय अधिकारियों के अलावा जिला प्रशासन के अधिकारियों के मिलीभगत की आशंका है।
उन्होंने कहा कि उप संचालक कृषि महासमुंद द्वारा जिला खनिज न्यास निधि डीएमएफ मदसे लगभग 2 करोड़ 22 लाख रुपए का फर्जी तरीके से भ्रष्टाचार की नियत से 22.11.2024 स्पेयर क्रय करने का आदेश दिया गया। जबकि खुले बाजार में यही स्पेयर 2000 से 2500 रुपए की दर पर बिक रहे हैं। तीन गुना दर बढ़ाकर क्रय करने का षड्यंत्र रचा गया। सप्लायर द्वारा महासमुन्द ब्लॉक के लिये 695 नग, पिथौरा को 695 नग, बागबाहरा, बसना एवं सरायपाली ब्लॉक को 694.964 नग की आपूर्ति की गई। किसानों द्वारा अंश राशि जमा करने में असहमति व्यक्त करने पर इसका वितरण नहीं हो पाया।
श्री चंद्राकर ने कहा कि यही नहीं उप संचालक कृषि महासमुंद द्वारा जैविक खेती मिशन अंतर्गत किसानों को 10 हजार रुपए के जैव आधारित कीट प्रबंधन तत्व एवं अन्य वस्तुयें दिये जाने का प्रावधान संचालक, कृषि द्वारा दिया गया। जिसे न मानते हुये जिस वस्तु का उल्लेख आदेश में नहीं है मेटलेक पॉवर स्पेयर जो नाम्र्स में नहीं है, को क्रय कर कृषकों को लेने हेतु बाध्य किया जा रहा था। मंशा यह थी कि जैविक खेती मिशन के अंतर्गत मेटलेक पॉवर स्पेयर क्रय कर किसानों को बांटा जाये।
श्री चंद्राकर ने कहा कि किसानों द्वारा उन्हें अवगत कराया गयाए कि मेटलेक पॉवर स्पेयर लेने एवं अंतर की राशि जमा करने बाध्य किया जा रहा है। इस पर श्री चंद्राकर द्वारा जब जानकारी ली गई तो गंभीर तथ्य सामने आये। जिला खनिज न्यास निधि का दुरूपयोग एवं भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
पूर्व संसदीय सचिव ने इसकी शिकायत कलेक्टर, कृषि उत्पादन आयुक्त एवं विभागीय मंत्री को की। कलेक्टर महासमुंद द्वारा जिला खनिज न्यास निधि से स्वीकृत एवं आदेशित फर्म को दिये गये टेंडर को निरस्त किया गया। अब सवाल यह उठता है कि जब पूर्व में निविदा आमंत्रित हुई और इन्हीं अधिकारियों द्वारा अनुमोदित किये जाने के बाद टेंडर एवं कार्यादेश जारी किया गया। उस समय ये कमियां क्यों नहीं देखी गईं? कार्यादेश जारी होने के बाद सामग्री की आपूर्ति भी कर दी गई। विकासखंडवार सामान भी भेजा गया, किसेानों के न लेने पर यह भ्रष्टाचार खुल गया। निविदा एवं कार्यादेश तो निरस्त किये गयेएलेकिन संबंधित अधिकारियों के विरूध्द अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिससे जिले के किसानों में अत्यधिक आक्रोश व्याप्त है।