महासमुन्द

58 लाख की स्टांप ड्यूटी में छूट भी ली!
तहसीलदार, पटवारी, जमीन दलाल पर ग्रामीणों का आरोप, तालाब को कंपनी पाट रही है
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 25 जुलाई। जिले के नजदीकी गांव बिरकोनी के ग्रामीणों के सार्वजनिक निस्तारी और सिंचाई के लिए 100 साल पुराने 4 एकड़ से ज्यादा में फैला चुहरी तालाब को कृषि भूमि बताकर फर्जी तरीके से मनोरमा इंडस्ट्री को बेचने का मामला सामने आया है।
जानकारी मिली है कि मनोरमा इंडस्ट्री ने तालाब को कृषि भूमि दर्शाकर एक झूठ के सहारे शासन से करीब 58 लाख रुपए स्टांप ड्यूटी में छूट भी हासिल की है। मनोरमा इंडस्ट्री ने जिन 6 खसरे की जमीन को उद्योग के उपयोग के लिए रजिस्ट्री कराया है, उनमें से एक खसरा नंबर तालाब का है और इस पूरे फर्जीवाड़ा में तहसीलदार, पटवारी, जमीन दलाल और जमीन बेचने वालों पर अहम भूमिका निभाने का आरोप है। समाचार लिखते वक्त शुक्रवार दोपहर उक्त तालाब को इंडस्ट्री द्वारा पाटा जा रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत बिरकोनी के इंडस्ट्रियल एरिया में संचालित मनोरमा इंडस्ट्री लिमिटेड के ओमनगर खमतराई रायपुर निवासी डायरेक्टर गौतम कुमार पाल ने प्लांट के ठीक पीछे पटवारी हल्का नंबर 33 में स्थित खसरा नंबर 2613, 2615, 2617, 2623 और 2626 रकबा 7.86 हेक्टेयर, 19 एकड़ 65 डिसमिल जमीन 30 जून 2025 को बिरकोनी निवासी दिनबंधु पिता मनराखन चंद्राकर, तुकाराम पिता बाबूलाल चंद्राकर और अशोक पिता छबिराम चंद्राकर से 8 करोड़ 80 लाख 51 हजार 911 रुपए में कृषि भूमि बताकर खरीदा है। इस रजिस्ट्री में 100 साल पुरानी चुहरी तालाब का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है। मनोरमा इंडस्ट्री के डायरेक्टर ने विक्रय विलेख के साथ 6 कृषि भूमि की तस्वीर को लगाकर उप पंजीयक के समक्ष पेश किया है। लेकिन उन 6 तस्वीरों में से चुहरी तालाब की तस्वीर नहीं थी।
इसके अलावा 1955-56 के अधिकार अभिलेख पंजी में दर्ज खसरा नंबर 1220 है, जो री नंबरिंग के बाद वर्तमान में खसरा नंबर 2613 है। जिसका रकबा 1.90 हेक्टेयर यानी 4 एकड़ 75 डिसमिल हैं। अधिकार अभिलेख पंजी में पानी के नीचे भूमि को निस्तारी के लिए चुहरी तालाब उल्लेख किया गया है। मनोरमा इंडस्ट्री ने इन जमीनों को खरीदने के लिए छत्तीसगढ़ शासन के उद्योग संचालनालय से 25 जून 2025 को बकायदा स्टांप शुल्क छूट प्रमाण पत्र भी लिया है। जिसके आधार पर मनोरमा इंडस्ट्री को स्टांप शुल्क में करीब 58 लाख 11 हजार 426 रुपए की छूट दी गई है।
इस तरह मनोरमा इंडस्ट्री लिमिटेड प्रबंधन ने झूठी जानकारी देकर बिरकोनी के खसरा नंबर 2013 रकबा 1.90 हेक्टेयर पर सौ साल पुरानी चुहरी तालाब की अस्तित्व को मिटाने के लिए शासन से ही स्टांप ड्यूटी में छूट लिया है। शासन द्वारा उद्योग के विकास के लिए रजिस्ट्री में छूट देने का प्रबंधन किया गया है। लेकिन क्या अब शासन ही उद्योग को पुरानी सरोवर को पाटने के लिए छूट प्रदान कर रहे हैं?
एक तरफ शासन-प्रशासन हैं कि गिरते भूजल स्तर को बचाने के लिए लोगों के घरों में ऑफिस में भवनों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के लिए जागरूक कर रहा है। वहीं दूसरी ओर मनोरमा इंडस्ट्री जैसे उद्योग शासन से छूट का फायदा उठाकर 100 साल पुरानी तालाब का नामोनिशान मिटा रहे हैं। ग्रामीणों की शिकायत पर मामले में जांच जारी है।