महासमुन्द

गणेशराम न्याय के इंतजार में चल बसे, अब ग्रेच्युटी-पेंशन के इंतजार से निराशा में डूबेे बुजुर्ग शिक्षक
25-Jul-2025 3:42 PM
गणेशराम न्याय के इंतजार में चल बसे, अब ग्रेच्युटी-पेंशन के इंतजार से निराशा में डूबेे बुजुर्ग शिक्षक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

पिथौरा, 25 जुलार्ई।  अभी विगत दिनों उच्च न्यायालय में न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ते दुनिया छोड़ चुके गणेश राम सेडे की तरह अब शासन की अनदेखी के चलते अनेक वयोवृद्ध शिक्षक ग्रेजुटी व पेंशन के इंतजार में उम्र के अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहे हैं, परन्तु इन्हें अब तक शासन से न्याय नही मिला और इनकी लम्बी सेवा के बाद भी इनका जीवन संघर्ष मय बना हुआ है।

 वाणी में विद्वता का तेज किंतु आंखों में घन घोर निराशा। यह चित्र है शत प्रतिशत अनुदान प्राप्त शालाओं के सेवानिवृत्त वयोवृद्ध शिक्षकों का।  ‘ग्रेच्युटी और पेंशन के इंतजार में अनेक सेवानिवृत्त शिक्षक दुनिया छोड़ कर जा चुके हैं। फिर भी इन्होंने उम्मीद का दामन थाम रखा है, कभी तो छत्तीसगढ़ शासन को हम बुजुर्गों की सुधि आएगी। ’ 

86 वर्षीय  कैलाश शंकर प्रधान शासकीय अनुदान प्राप्त कृषक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पाटसेंद्री ( विकास खंड सरायपाली ) के सेवानिवृत्त प्राचार्य हैं एवं  ‘शासकीय अनुदान प्राप्त विद्यालय सेवानिवृत शिक्षक/ कर्मचारी मंच ’ फुलझर इकाई सरायपाली/बसना जिला महासमुंद के अध्यक्ष भी हैं।  वे बताते हैं कि अनेक बार शासन द्वारा हमारे लिए ग्रेच्युटी के संबंध में अनुमानित खर्च की जानकारी मांगी भी जाती है किन्तु भुगतान का आदेश नहीं दिया जाता। हमारी नजऱें अभी भी शासन की ओर निहार रही हैं। हमने शिक्षा के विकास के लिए सारा जीवन अर्पित कर दिया, किंतु आज हम उपेक्षित जीवन जी रहे हैं।

 शत् प्रतिशत शासकीय अनुदान प्राप्त इन शालाओं के सेवानिवृत वयोवृद्ध  शिक्षकों का जीवन अत्यंत करुणा जनक की स्थिति में है। उक्त शालाओं के इन शिक्षकों को सेवा निवृत्ति के पश्चात ग्रेच्युटी और पेंशन कुछ नहीं मिला।

 छत्तीसगढ़ में ऐसे शिक्षक बहुत अधिक नहीं है, हजार बारह सौ से ज्यादा नहीं होंगे। कुछ करोड़ रूपयों में इन शिक्षकों के जीवन का अंतिम समय संतोष जनक रूप से व्यतीत हो सकता है। सन् 2013 के पूर्व शासकीय अनुदान प्राप्त शालाओं जो शिक्षक एवं कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं उन्हें पेंशन तो पेंशन ग्रेच्युटी भी नहीं मिली है।

62 वर्ष की आयु समाप्त होते ही पूरी तरह से खाली हाथ एक अंधेरे भविष्य के साथ पद मुक्त हो गए हैं। जबकि 2013 के बाद सेवानिवृत होने वाले अनुदानित शिक्षकों और कर्मचारियों को ग्रेच्युटी मिल रही है पेंशन से वे भी वंचित हैं। महासमुंद जिले के विकास खंड पिथौरा के शासकीय अनुदान प्राप्त शाला विद्या मंदिर नयापारा खुर्द से सन् 1998 में सेवानिवृत्त प्रधान अध्यापक  90 वर्षीय कृष्ण चंद्र प्रधान ने बताया कि 1959 में जब वे विद्या मंदिर नयापारा में पदस्थ हुए उस शाला में केवल 15 छात्र थे। अज्ञानता और पिछड़े पन के चलते लोग अपने बच्चों को स्कूलों में नहीं भेजते थे। ऐसी परिस्थिति में कृष्ण चंद्र प्रधान रोज सुबह सायकल से 25 किलो मीटर एरिए में दौरा करते थे और बच्चों को शाला भेजने के लिए प्रेरित करते थे।  श्री प्रधान की मेहनत से जंगल और खेतों में भटकते बच्चों को स्कूल आने की प्रेरणा मिली और स्कूल दर्ज संख्या 100 से भी अधिक हो गई । आज  उनके पढ़ाये अनेक बच्चे प्रोफेसर, डॉक्टर, प्राचार्य, लेक्चरर, एवं अनेक प्रशासनिक पदों पर कार्य करते हुए शाला और गांव का नाम रोशन कर रहे हैं। शासकीय योजना की संस्था विद्या मंदिर के शिक्षक भी ग्रेच्यूटी और पेंशन से वंचित

कृष्ण चंद्र प्रधान बताते हैं कि है कि विद्या मंदिर शाला कोई साधारण अनुदान प्राप्त स्कूल नहीं है यह शासन के विद्या मंदिर एक्ट 1939 के तहत प्रारंभ की गई शासकीय योजना की शाला है। फिर भी इस शाला के शिक्षकों को पेंशन और ग्रेच्युटी से वंचित रखा गया है यह अत्यंत निराशाजनक है। शासकीय अनुदान प्राप्त फुलझर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भगत देवरी ( वि खंड पिथौरा) के सेवानिवृत्त व्याख्याता हेमन्त पात्र (  ‘सचिव शासकीय अनुदान प्राप्त विद्यालय सेवानिवृत शिक्षक/ कर्मचारी मंच ’ ) बताते हैं कि जीवन भर शासन की सेवा करने के बाद हमें उम्मीद थी कि शासन हमारे प्रति सहानुभूति अवश्य दिखाएगी। किंतु निराशा ही हाथ लगी है। बुढ़ापे में खाली हाथों को मलने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं है। श्रेष्ठ परीक्षाफल देने वाले शिक्षक बीमार, पर शासकीय लाभ से वंचित

भगत देवरी के ही सेवानिवृत्त व्याख्याता  विनोद पुरोहित जो रिटायर्ड होने के बाद  पैरों में पैरालिसिस से पीडि़त हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पढ़ाए बच्चे आज बड़े शासकीय पदों एवं राजनीति में भी विभिन्न पदों पर आसीन हैं।

 

हमने पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है। जीवन के अंतिम पड़ाव में हमें शासन से सहयोग की आवश्यकता है। अनुदान प्राप्त हायर सेकेण्डरी विद्यालय पाटसेंद्री के सेवानिवृत्त प्राचार्य कृपा राम पटेल ( ‘उपाध्यक्ष, शासकीय अनुदान प्राप्त विद्यालय सेवानिवृत शिक्षक/ कर्मचारी मंच ’) कहते हैं।

उनके पढ़ाए छात्र विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष एवं जज जैसे प्रतिष्ठित पदों पर पहुंच चुके हैं। हमने हमेशा अच्छे परीक्षा फल के साथ छात्रों को श्रेष्ठ नागरिक बनने का प्रयास किया किंतु हमारी सेवाओं का शासन स्तर पर सही मूल्यांकन नहीं हो पाया है। हमें अभी भी उम्मीद है कि शासन हमारी ओर अवश्य ध्यान देगा।

ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ के अनेक अनुदान प्राप्त शालाओं की तरह महासमुंद जिले में अनेक अनुदान प्राप्त विद्यालय हैं जो अपनी उत्कृष्ट शिक्षा और श्रेष्ठ परीक्षा फलों के द्वारा समाज को अपना योगदान दे रहे हैं। इन विद्यालयों के ये विद्वान और योग्य शिक्षक बुढ़ापे में ग्रेच्युटी और पेंशन नहीं मिलने के कारण उपेक्षित जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। पता नहीं कब इनकी जि़ंदगी में उजाला आएगा।


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