महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,9 अप्रैल। रबी फसल धान के लिए आम तौर पर अप्रैल माह के अंत में पानी की कमी होती है। लेकिन इस वर्ष मार्च के अंतिम दिनों से ही यह समस्या शुरू हो गई थी। अब तो जल स्तर काफी नीचे चले जाने के कारण बोरवेल भी जवाब देने लगे हैं और खेतों की सिंचाई बहुत अधिक प्रभावित हो रही है। अब हाालात यह है कि गांवों में रबी सीजन में धान फसल ले चुुके किसान अपने सूखते फसल को पशुओं के लिए छोड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि जिले के सरायपाली अंचल के अनेक गांवों में किसान रबी सीजन में भी बड़ी तादाद में धान की फसल लगाते हैं। बीते वर्षों में अप्रैल के अंत तक बोरवेल से खेतों की सिंचाई हो जाती थी। लेकिन इस वर्ष जल स्तर बहुत अधिक नीचे चले जाने के कारण खेतों की सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो गई है। बरसात के समय में जल स्तर को देख कर किसानों ने रबी फसल में धान तो लगा लिया, लेकिन इस वर्ष समय से पहले ही जल स्तर नीचे चले जाने से ट्यूबवेल भी जवाब दे गये। अब किसान अपने खेतों को पशुओं के हवाले कर रहे हैं।
किसानों का कहना है कि हर वर्ष अप्रैल के आखरी सप्ताह में परेशानी होती थी, लेकिन इस वर्ष मार्च से ही ट्यूबवेल सूखने शुरू हो गए थे। बीज से लेकर दवाई, खाद आदि सारे खर्च होने के बाद पानी की कमी रह गई। हर वर्ष रबी फसल में भी एक अच्छी बारिश हो जाती थी। लेकिन इस वर्ष अक्टूबर से अभी तक बारिश नहीं हुई है।
जिससे जल स्तर नीचे चला गया है। सरायपाली क्षेत्र में मोहनमुड़ा, बनीगिरोला, केंदूमुड़ी, लाखनपाली, चकरदा, रिसेकेला, मुंधा,जोगीडीपा, पलसापाली, डुडूमचुंआ, दुर्गापाली,अमरकोट,दुलारपाली,मोहदा,बानीपाली,जलपुर, कोसमपाली आदि कई गांवों के किसान पानी की समस्या झेल रहे हैं।
ज्ञात हो कि इस साल आने वाले दिनों में भीषण जल संकट की संभावना को देखते हुए शासन, प्रशासन के द्वारा भी किसानों को रबी में धान की फ सल न लेकर कम पानी लगने वाली अन्य फसलों की खेती करने की सलाह दी गई थी, लेकिन धान में अधिक उत्पादन को देखते हुए किसान रबी सीजन में भी अधिकतर धान की फसल ही बोते हैं। धान की फसल में बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है, जिसके कारण कई बार पानी के कमी से रबी सीजन में किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसके बावजूद भी धान की फसल को ही अधिक लगाया जा रहा है, जो अंतत: किसानों की परेशानी का सबब बनता जा रहा है।