महासमुन्द

प्रभारी अध्यक्ष को 10 जिलों का पदभार, महासमुंद के लिए सिर्फ एक दिन तय
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 15 मार्च। सस्ते और सुलभ न्याय की उम्मीद लेकर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग पहुंचे करीब 362 फरियादियों को वर्षों से न्याय नहीं मिला है। बताया गया है कि आयोग के प्रभारी अध्यक्ष सेवानिवृत्त जज योगेश चंद्रगुप्त 10 जिलों के अध्यक्ष का पदभार सम्हाल रहे हैं। यही वजह है कि महासमुंद जिले में आयोग की नियमित सुनवाई नहीं हो पा रही है। यहां आयोग की बैठक माह में सिर्फ 3 दिन होती है, जिसमें अध्यक्ष सिर्फ एक दिन ही आते हैं। बाकी के दो दिन सिर्फ सदस्य बैठते हैं। लिहाजा फैसले नहीं हो पाते हैं।
जानकारी अनुसार स्थानीय आयोग में 362 पंजीकृत मामले हैं। जबकि 40 मामले और आए हैं। मिली जानकारी के अनुसार सेवानिवृत्त जज योगेश चंद्रगुप्त यहां के प्रभारी अध्यक्ष हैं। उनकी मूल पोस्टिंग राजनांदगांव जिले में है। इसके अलावा उन्हें दुर्ग, धमतरी, महासमुंद, कांकेर, जगदलपुर, सुकमा, माह में सिर्फ 1 दिन दंतेवाड़ा तथा 2 अन्य जिलों का भी प्रभार मिला हुआ है। भारी वर्कलोड के कारण वे माह में सिर्फ 1 दिन महासमुंद आ पाते हैं।
बताया गया है कि आयोग के अध्यक्ष पद के लिए 3-4 माह पूर्व साक्षात्कार तक हो चुका है, लेकिन आगे की प्रक्रिया अटकी हुई है। आयोग को उपभोक्ता सेवा से जुड़े मामले का 3 माह में निराकरण करना होता है। लेकिन स्थानीय आयोग में 4 साल से छोटे और बड़े करीब 362 मामले पेंडिंग पड़े हैं। सहारा से संबंधित ही क्षतिपूर्ति के 150 मामले हैं। इनमें बीमा से जुड़े 60-70 तथा बैंक फ्रॉड, विद्युत, रेलवे, डाक घर, मेडिकल, खाद में मिलावट के मामले पेंडिंग मामलों में शामिल हैं। जानकारी अनुसार यहां 5 लाख तक के मामले बिना शुल्क के सुने जाते हैं। फलस्वरूप 3-4 वर्षों से पेंडिंग प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पा रहा है।