महासमुन्द

सचिव ने देरी से दिया दस्तावेज, 25 हजार जुर्माना
08-Nov-2021 7:41 PM
सचिव ने देरी से दिया दस्तावेज, 25 हजार जुर्माना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 8 नवम्बर। सूचना के अधिकार अधिनियम के बावजूद जनसूचना अधिकारी जानबूझकर आवेदक को सूचना दस्तावेज से वंचित रख रहे हंै। समयसीमा में सूचना दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने से एक बार फिर से मुख्य सूचना आयुक्त ने जनसूचना अधिकारी साहेबलाल चौहान को 25 हजार रुपए का अर्थदण्ड अधिरोपित किया है।

 प्राप्त जानकारी के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने सीईओ जनपद पंचायत पिथौरा को 11 मार्च 2020 को सूचना आवेदन प्रेषित कर ग्राम पंचायत झगरेनडीह से संबंधित सूचना दस्तावेज की मांग की। सीईओ पिथौरा ने विलंब से कोरोना के कारण 11 मई 2020 को मूल सूचना आवेदन को धारा 06(3) के तहत जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत झगरेनडीह को हस्तातंरित किया।

आवेदक को समयावधि में सूचना दस्तावेज प्राप्त नहीं होने से कार्यालय जनपद पंचायत पिथौरा में प्रथम अपील 25 जून 2020 को किया गया। जिसकी सुनवाई 17 अगस्त 2020 को हुआ। प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष जनसूचना अधिकारी ने सुनवाई में 10 दिवस के भीतर सूचना दस्तावेज उपलब्ध कराने की सहमति दी। आवेदक को प्रथम अपील पारित आदेश के बाबजूद सूचना दस्तावेज प्राप्त नहीं होने पर छ.ग. राज्य सूचना आयोग में 6 अक्टूबर 2020 को द्वितीय अपील दायर किया गया।  सूचना आयोग से नोटिस मिलने के बाद सचिव ने पंजीकृत डाक से 6 मार्च 2021 को 16 पृष्ठ की सूचना दस्तावेज आवेदक को भेजा। सूचना आयोग में इस प्रकरण में अंतिम सुनवाई 4 अक्टूबर को हुई।  

मुख्य सूचना आयुक्त एम.के. राउत ने इस प्रकरण में पाया कि अपीलार्थी को प्रथम अपील पारित आदेश के उपरान्त भी सूचना दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया है, जो सूचना का अधिकार अधिनियम के विपरीत है। इसलिए इस प्रकरण में पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना करने का आदेश पारित किया। सीईओ जनपद पंचायत पिथौरा को 25 हजार जुर्माना राशि जनसूचना अधिकारी साहेबलाल चौहान के वेतन से कटौती करवाकर शासकीय कोष में जमा करके उसकी पावती सूचना आयोग में भेजने हेतु निर्देशित किया है।

छग राज्य सूचना आयोग में सचिव साहेबलाल चौहान ने बताया कि सचिव संघ की हड़ताल और कोरोनाकाल की वजह से आरटीआई कार्यकर्ता विनोद दास को सूचना दस्तावेज उपलब्ध कराने में देरी हुआ है। समस्त दस्तावेजों का निरीक्षण परीक्षण करने और शिकायतकर्ता का तर्क को सुनने के बाद जनसूचना अधिकारी के इस तर्क को मुख्य सूचना आयुक्त ने मान्य किया। लेकिन साथ ही मुख्य सूचना आयुक्त ने यह निर्णय दिया कि सचिव के पास 4 माह का पर्याप्त समय था। अत: अपीलार्थी को सचिव के द्वारा जानकारी से वंचिंत रखना प्रमाणित होता है। जिस कारण 25 हजार जुर्माना उचित है।


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