महासमुन्द

10 तक खुला रहेगा किसान एकीकृत पोर्टल, किसान अब आसानी से करा सकेंगे पंजीयन
07-Nov-2021 5:28 PM
10 तक खुला रहेगा किसान एकीकृत पोर्टल, किसान अब आसानी से करा सकेंगे पंजीयन

छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 7 नवम्बर।
राजीव गांधी न्याय योजना के तहत समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए जिन किसानों ने अपना पंजीयन नहीं कराया था, उनके लिए राहत भरी खबर है। सरकार ने पंजीयन में हो रही समस्या को देखते हुए किसान एकीकृत पोर्टल को 10 नवंबर तक खोल दिया है। ऐसे में पंजीयन के लिए परेशान हो रहे किसान अब आसानी से अपना पंजीयन करा सकेंगे। तिथि बढऩे से सबसे ज्यादा राहत डूबान व रेग लेकर किसानी करने वाले किसानों को मिली है। मालूम हो कि एक दिसंबर से धान खरीदी होनी है, जिसके लिए अभी से तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो जिले में नए और पुराने किसानों को मिलाकर अभी तक 1 लाख 41 हजार किसानों का पंजीयन हो चुका है। इस साल अब तक 4244 नए किसानों का पंजीयन हुआ है। वहीं 12 हजार किसानों ने संशोधन के लिए आवेदन दिया है। इनमें से सभी किसानों का पंजीयन पूर्व में निर्धारित तिथि तक हो गया था, लेकिन डूबान व रेग वाले किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।

गौरतलब है कि इस वर्ष एकीकृत किसान पोर्टल लागू होने के कारण विसंगतियां भी खूब आ रही हैं। रेग में दिए किसानों की जानकारी मांगने पर ग्राम का नाम ही नहीं दिख रहा है। डूबान क्षेत्र एवं ट्रस्टों की जमीन में किसान कोड की आवश्यकता होती है। हर वर्ष नए रेगदार होने के कारणए किसान कोड के अभाव में पंजीयन नहीं हो रहा था। इसी परेशानी को देखते हुए एक और मौका दिया गया है।

अब तक जिले के 12068 किसानों ने पंजीयन के लिए ऑनलाइन आवेदन किए थे। प्राप्त आवेदनों का आरईओ ग्राम सेवक द्वारा सत्यापित किया गया।। इसके बाद सोसायटी के द्वारा प्राप्त आवेदनों का पंजीयन किया गया। 12 हजार किसान का पंजीयन कर लिया गया है। रेग व डूबान क्षेत्र में खेती करने वाले किसान पंजीयन कराने के लिए पहुंच रहे हैं। इस साल 4 हजार 244 किसान ने नया पंजीयन कराया है।

इस साल 2 लाख 41 हजार हेक्टेयर में धान की फसल किसानों ने ली है। पिछले साल एक लाख 14 हजार किसान थे, लेकिन रकबा 2 लाख 45 हजार था। इस साल 4 हेक्टेयर कम है। इसके बावजूद एक लाख 45 हजार किसानों का पंजीयन अभी तक हो गया है। पंजीयन की तिथि बढऩे से किसानों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। किसानों की संख्या बढ़ भी गई है, लेकिन रकबा कम हो गया है।
 


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