महासमुन्द

आर्षज्योति गुरूकुल आश्रम कोसरंगी में संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण शिविर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 28 अक्टूबर। आर्षज्योति गुरूकुल आश्रम कोसरंगी में छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डलम् रायपुर के तत्वावधान में आयोजित संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ छग राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर के मुख्य आतिथ्य में हुआ। बीते 26 से 30 अक्टूबर तक चलने वाले इस शिविर में प्रदेश भर से आए 80 प्राचार्य और आश्रम के 100 बच्चे प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जिन्हें संस्कृत प्रशिक्षण के अंतर्गत प्रवेशिका से लेकर प्रवचन, योग आयुर्वेद, व्याकरण, साहित्य, ज्योतिष, पौरोहित्य आदि विषयों का प्रशिक्षण विषय विशेषज्ञों द्वारा दिया जा रहा है।
इसके अलावा समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर करने वाले व्यक्तियों के प्रेरक उद्बोधनों से प्रशिक्षणार्थियों को नवाचारों के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस क्रम की शुरूआत करते हुए छग राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर ने अपने राजनीतिक जीवन के कुछ रोचक अनुभव प्रशिक्षणार्थियों से साझा किए। उन्होंने बताया कि वे राइस मिल चलाते थे और खेती करते थे। राजनीति का ज्ञान नहीं था। धनसुली के लोगों ने निर्विरोध सरपंच चुन लिया। इसके बाद महासमुंद क्षेत्र की जनता ने विधायक चुना। विधायक बनने के बाद देखा, समझा और पाया कि महासमुंद विकास की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। यहीं से राजनीति का ध्येय मिल गया।
उन्होंने कहा कि फिर मैंने प्राथमिकताएं तय की और पांच साल के पहले ही कार्यकाल में 100 प्राइमरी स्कूल, 53 मिडिल स्कूल, 36 हाईस्कूल और 25 हायर सेकेंडरी स्कूल का निर्माण कराया। गांव महासमुंद जो एक ब्लॉक था, उसे विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए जिला बनाना जरूरी था। वर्ष 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश में नए जिलों की घोषणा हुई उसमें महासमुंद का नाम नहीं था। बिना देर किए तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अपना इस्तीफ ा भेज दिया। अंतत: 6 जुलाई 1998 को महासमुंद अविभाजित मध्यप्रदेश का 61वां जिला बना।
उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सिंचाई, बिजली, सडक़ जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास तेज हुआ। श्री चंद्राकर ने कहा कि ठान लें तो कोई काम मुश्किल नहीं, बशर्ते कर्म ईमानदारी से करो। लोगों का हित परम ध्येय होना चाहिए। हम ऐसा काम करें कि मान बना रहे। श्री चंद्राकर ने कहा कि मैंने अलग हटकर राजनीति की। जीवन में दाग लगने नहीं दिया। पद में रहूं या ना रहूं, सम्मान बना रहे।
आर्षज्योति गुरूकुल आश्रम कोसरंगी में ज्योतिष, योग, पौरोहित्य और प्रवचन इन चार विषयों पर जल्द ही एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स शुरू होने वाला है। छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डलम् रायपुर के सहायक संचालक लक्ष्मण प्रसाद साहू ने कार्यक्रम में बताया कि इसकी प्रक्रिया अंतिम चरण पर है और संभावना है कि इसी सत्र से यह कोर्स प्रारंभ हो जाएं। छात्र-छात्रा या किसी भी उम्र का व्यक्ति जो 10वीं पास हो यह कोर्स कर सकेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डलम् के सचिव राजेश कुमार सिंह ने की तथा विशिष्ट सहायक संचालक पूर्णिमा पाण्डेय, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष नारायण नामदेव, रवि साहू, बिहारी पटेल, मदन भारती, परमेश्वर साहू, जीवन यादव थे। संचालन आचार्य कोमल ने तथा आभार प्रदर्शन आचार्य मुकेश ने किया।