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एम. टी. वासुदेवन ने कई कालजयी कृतियां रचकर मलयालम साहित्य को अलग पहचान दिलाई
26-Dec-2024 11:00 AM
एम. टी. वासुदेवन ने कई कालजयी कृतियां रचकर मलयालम साहित्य को अलग पहचान दिलाई

कोझिकोड (केरल), 26 दिसंबर। प्रख्यात लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एम. टी. वासुदेवन नायर अपनी रचनाओं के जरिए मलयालम कथानक को शीर्ष मुकाम तक पहुंचाने के लिए जाने जाते थे। उनका बुधवार शाम को निधन हो गया।

एम. टी. के नाम से मशहूर वासुदेवन नायर को कहानी कहने की उनकी विशिष्ट कला, मानवीय भावनाओं और ग्रामीण जीवन की जटिलताओं को उजागर करने के लिए जाना जाता है।

लेखक नायर (91) को हृदय संबंधी समस्याओं के कारण उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

साहित्य क्षेत्र से जुड़े सूत्रों के अनुसार, वह कुछ समय से श्वसन संबंधी बीमारियों सहित कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे।

केरल के पलक्कड़ जिले के कुडल्लूर गांव में 1933 में जन्मे एम. टी. ने सात दशकों से अधिक समय तक एक ऐसी साहित्यिक दुनिया की रचना की जिसने आम नागरिकों और बुद्धिजीवियों को समान रूप से आकर्षित किया।

उस समय, कुडल्लूर ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी के अंतर्गत मालाबार जिले का हिस्सा था।

वह टी. नारायणन नायर और अम्मालु अम्मा की चार संतानों में सबसे छोटे थे। उनके पिता, श्रीलंका के सीलोन में कार्य करते थे।

उन्होंने मलमक्कवु प्राथमिक विद्यालय और कुमारानेल्लूर माध्यमिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और 1953 में विक्टोरिया कॉलेज, पलक्कड़ से रसायन विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने शुरू में कन्नूर के तलिपरम्बा के एक खंड विकास कार्यालय में एक शिक्षक तथा ग्रामसेवक के रूप में कार्य किया और उसके बाद वे 1957 में मातृभूमि साप्ताहिक में उप-संपादक के रूप में शामिल हुए।

साहित्य के क्षेत्र में सात दशकों में, उन्होंने नौ उपन्यास, 19 लघु कथा संग्रह, छह फिल्मों का निर्देशन, लगभग 54 पटकथाएं तथा कई निबंध और संस्मरण संग्रह लिखे हैं।

एम. टी. ने ‘ओरु वडक्कन वीरगाथा’ (1989), ‘कदावु’ (1991), ‘सदायम’ (1992), और ‘परिणयम’ (1994) के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।

एम. टी. ने 1965 में लेखिका और अनुवादक प्रमिला से विवाह किया था, लेकिन विवाह के 11 वर्ष बाद दोनों अलग हो गये और इसके बाद उन्होंने 1977 में प्रसिद्ध नृत्यांगना कलामंडलम सरस्वती से विवाह किया। (भाषा)


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