ताजा खबर

बिना सबूत पति पर नपुंसकता का आरोप लगाना मानसिक प्रताड़ना, हाईकोर्ट ने दिया तलाक का अधिकार
17-Jul-2025 12:01 PM
बिना सबूत पति पर नपुंसकता का आरोप लगाना मानसिक प्रताड़ना, हाईकोर्ट ने दिया तलाक का अधिकार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 17 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर पत्नी अपने पति पर बिना किसी मेडिकल सबूत के नपुंसक होने जैसा गंभीर आरोप लगाती है, तो यह मानसिक प्रताड़ना माना जाएगा और तलाक के लिए यह एक वैध आधार है। यह फैसला जांजगीर-चांपा फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनाया गया, जिसमें हाईकोर्ट ने पति को राहत दी है।

जांजगीर-चांपा निवासी एक व्यक्ति की शादी 2 जून 2013 को बलरामपुर जिले के रामानुजगंज की रहने वाली एक महिला से हुई थी। पति बैकुंठपुर के चर्च कोलियरी में शिक्षा कर्मी के पद पर कार्यरत था, जबकि पत्नी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। शादी के बाद दोनों के बीच कोई संतान नहीं हुई। कुछ समय बाद पत्नी ने पति पर नौकरी छोड़ने या तबादले का दबाव बनाना शुरू कर दिया। दोनों साल 2017 से पूरी तरह अलग रह रहे हैं।

सात साल अलग रहने के बाद पति ने 2022 में फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई। सुनवाई के दौरान पत्नी ने पति पर यह कहकर आरोप लगाया कि वह वैवाहिक संबंध बनाने में असमर्थ है, लेकिन उसने कोर्ट में कोई मेडिकल सबूत नहीं दिया। वहीं पति ने कहा कि पत्नी ने उस पर मोहल्ले की एक महिला से अवैध संबंध रखने का झूठा आरोप लगाया और अपने देवर से भी झगड़ा किया, जो दोनों के बीच सुलह कराने आया था।

हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह के आरोप न केवल पति की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाते हैं, बल्कि उसकी मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर डालते हैं। कोर्ट ने इसे गंभीर मानसिक क्रूरता माना और कहा कि पत्नी का व्यवहार वैवाहिक जीवन को नष्ट करने वाला रहा है।

अदालत ने फैमिली कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि पति ने पत्नी के खिलाफ क्रूरता और परित्याग के आरोप साबित कर दिए हैं। ऐसे में विवाह को बनाए रखना न्यायसंगत नहीं होगा।


अन्य पोस्ट