‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 29 अगस्त। जिले में संचालित चिरायु योजना कलेक्टर डॉ. सिद्दकी के मार्गदर्शन में, सीएमएचओ डॉ. एफआर निराला के देखरेख में चिरायु टीम मददगार साबित हो रही है। इस योजना में 19 वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य परीक्षण की जाती है, ये बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में व स्कूलों के है। जिले के तीनों विकास खंडों में 7 टीमें है एक टीम में दो डॉक्टर एक महिला, एक पुरुष होते है,एक फार्मासिस्ट, एक एमएलटी, एक एएनएम है, कुल 5 लोगों की एक टीम बनाई गई जिन्हें 1 डेडिकेटेट वाहन उपलब्ध कराई गई है।
उक्त तीन पूर्व निर्धारित कार्य क्रम के तहत आंगनबाड़ी केंद्र एवं स्कूल में जाकर बच्चों की स्वास्थ्य परीक्षण कर सबकी रिकॉर्ड रखते है। प्रत्येक टीम को एरिया आबंटित पूर्व में ही कर दी गई है। इन्हें अन्य लॉजिस्टिक, इंस्ट्रूमेंट्स एवं दवाई दी जाती है। टीम माह में 20 दिन दौरा करते हैं। टीम को अपने एरिया के सभी आंगनबाड़ी में बच्चों की जांच वर्ष में 2 बार 6-6 माह के अंतराल में करना होता है।
स्कूल के बच्चों की जांच वर्ष में एक बार ही करनी होती है माह अप्रैल, मई, जून, जुलाई में आंगनबाड़ी केंद्रों की प्रथम बार जांच , अगस्त के दिसंबर तक समस्त स्कूल के बच्चों की जांच की जाएगी जनवरी से मार्च तक आंगनबाड़ी केंद्रों की द्वितीय बार जांच होनी है। माह अप्रैल में स्कूल, आंगनबाड़ी में जाकर एक एक बच्चे की जांच करते है, जांच करते समय टीम 4 डी के आधार है जैसे कंजेनिटल डिफेक्ट, डिजीज ,डिफिशिएंसी,डेवलपमेंटल डिले पहला डी कंजेनिटल डिफेक्ट ( जन्म जात विकृति) में होंठ ,तालु की विकृति , पांव में विकृति क्लब फुट, जन्म जात मोतियाबिंद, जन्मजात बधिरता, जन्मजात हृदय रोग दूसरा डी में घेंघा रोग, त्वचा संबंधी रोग, कान के संक्रमण मुंह एवं दांत के संक्रमण मिर्गी रोग अन्य संक्रामक असंक्रामक रोग शामिल है।
तीसरा डी में डेवलपमेंटल डिफिशिएंसी (कमी) है, जिसमें रक्त अल्पता विटामिन ए की कमी, विटामिन डी की कमी ,कुपोषण आदि। चौथा डी में डेवलपमेंटल डिले है जिसमें डाउन सिंड्रोम, संज्ञा नात्मक देरी, वाणी व भाषा में देरी, व्यवहार गुण विकार, सीखने में विकार, ध्यान में कमी, अति सक्रिय होना आदि इसके अलावा अन्य कई बीमारियां भी हो सकती है।
जिले में 1119 आंगनबाड़ी केंद्र चिन्हांकित है जबकि सरकारी स्कूल की संख्या 1392 है इस वर्ष अप्रैल से जुलाई तक 97फीसदी आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों की प्रथम राउंड की जांच हो चुकी है। इसमें 9 फीसदी बच्चे अनुपस्थित जबकि लगभग 10 फीसदी बच्चे किसी न किसी बीमारी से पीडि़त पाए जाते है। 96 फीसदी बच्चों को जिन्हें छोटी मोटी बीमारियां होती है, उनका स्थल में उपचार की जाती है, जबकि 4 फीसदी बच्चो की बीमारी की उपचार के लिए उच्च संस्थान में रेफर की जाती है। 1392 स्कूलों के विरुद्ध अब तक 216 स्कूल की ही जांच इस माह में की गई है, पिछले 17 माह में अब तक 70 बच्चों की उपचार उच्च संस्थान में ले जाकर ऑपरेशन से उपचार कराया गया है। जबकि 21 बच्चों को हियरिंग एड के लिए चिन्हांकित किए गए है। सबसे ज्यादा जन्मजात हृदय रोग के बच्चे लाभान्वित हुए है।
इनकी संख्या 16 है ,जबकि तालु होंठ की विकृति की 5 बच्चे लाभान्वित हुए है। इसी तरह क्लब फुट के भी 9 बच्चे जन्मजात मोतियाबिंद के 3 बच्चे,न्यूरल डिफेक्ट के एक, शेष सभी अन्य बीमारियों के ऑपरेशन कराए गए। कईयों की उपचार प्रदेश के बाहर के बड़ी अस्पतालों से ऑपरेशन कराई गई है। कई ऑपरेशन जटिल थे अब तक के चिरायु के कार्य में मददगार संस्था महिला एवं बाल विकास, स्कूल शिक्षा विभाग साथ में जनपद का सहयोग मिलता रहा है। इस वित्तीय वर्ष में भी अप्रैल 2023 से अब तक 24 बच्चों को विभिन्न प्रकार के ऑपरेशन प्रदेश के आम प्रदेश के बाहर के अच्छे मान्यता प्राप्त अस्पताल से कराई गई है। अब तक के सभी ऑपरेशन सफल है।
चिरायु टीम को आयरन एवं फोलिक एसिड की गोली की मॉनिटरिंग के दायित्व भी दिए है । स्कूल आंगनबाड़ी केंद्रों में आयरन गोली वितरण , खाने की व्यवस्था हो रही है की नहीं, उसकी रिपोर्टिंग आदि को मॉनिटरिंग की जवाबदारी भी दी गई । कई दवाई की उपलब्धता नहीं हो तो भी वहा वैकल्पिक रूप से दवाई समय में टीम के द्वारा पहुंचा दी जाती है।
चिरायु कार्यक्रम के नोडल डॉक्टर प्रभु दयाल खरे अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निर्वहन कर रहे है। चिरायु कार्यक्रम की सफल संचालन में तीनों बीएमओ, डीपीएम, चिरायु योजना के डेडीकेटेड स्टाफ सबकी सहयोग से हमारे जिले सफलता पूर्वक संचालित हो रही है। इस कार्य में हमें जिला प्रशासन से पूरी मदद मिल रही है। साथ में समाज कल्याण विभाग से भी मदद मिल रही है ।