सारंगढ़-बिलाईगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सरसींवा, 7 सितंबर। मंगलवार को माताओं ने संतान की लंबी आयु के लिए हलषष्ठी (कमरछठ) का उपवास रख एवं नियत स्थान पर सगरी बनाकर पूजन किये एवं पसहर चावल व 6 प्रकार की भाजी का प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया।
हलषष्ठी व्रत जो कि संतान की लंबी आयु के लिए माताओं द्वारा रखी जाती है। यह व्रत छत्तीसगढ़ की प्रमुख व्रत है, जिसमं पुत्र के लंबी आयु के लिए किया जाता है। मंगलवार को माताएं यह व्रत रखकर एवँ नियत स्थानों में एकत्रित होकर मिट्टी का सगरी गौ माता बलराम एवं नाव नाविक बनाकर विशेष प्रकार के सामान से पूजा अर्चना आरती करते हुए कथा का श्रवण किया।
सारंगढ़। सनातन धर्मावलंबियों महिलाओं के द्वारा पुत्र, पति के लिए विभिन्न व्रत रखने का नियम माताओं के द्वारा किया जाता रहा है। इसी कड़ी में हल षष्ठी व्रत माताएं अपनी पुत्र के दीर्घायु हेतु रखती है, जिसमें उनके द्वारा विधि विधान के साथ हल षष्ठी माता का पूजन किया जाता है। गोपाल जी मंदिर छोटे मठ में 20 - 25 महिलाएं एक साथ बैठकर मिट्टी की एक तालाब बनाती हैं। जिस तालाब को पानी से भर दिया जाता है। वहीं पर वे विधि विधान के साथ अपने पुत्र के दीर्घायु के लिए पूजन करती है। व्रत के दौरान माता के द्वारा बिना हल चले लाल चावल को पीतल के बर्तन में बनाते हैं और व्रत उसी चावल से तोड़ते हैं। पूजन पश्चात माताएं अपने-अपने निवास को जाते हैं,जहां अपने बच्चों को थापा लगाते हैं। पूजा के दरमियान हलषष्ठी माता की कहानी सुनते हैं। वैदिक विधान पूरा करने के पश्चात घर में जाकर प्रसाद प्राप्त करती है।


