‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 अक्टूबर। अब केंद्र सरकार के कर्मचारी भी नेशनल पेंशन सिस्टम और यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत ज्यादा निवेश विकल्पों का लाभ उठा सकेंगे. अपने कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार ने इसी शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लिया है।
वित्त मंत्रालय ने बताया है कि एनपीएस और यूपीएस स्कीम में दो नए निवेश विकल्प लाइफ साइकल और बैलेंस्ड लाइफ साइकल को मंजूरी दी गई है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि ये विकल्प रिटायरमेंट प्लानिंग में फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाने और कर्मचारियों को अपनी जरूरतों के हिसाब से अपने रिटायरमेंट फंड को मैनेज करने की अनुमति देने के लिए तैयार किए गए हैं।
यह कदम लंबे समय से उठाई जा रही सरकारी कर्मचारियों की उस मांग को पूरा करता है जिसमें वे अपने पेंशन निवेश पर अधिक लचीलापन और नियंत्रण चाहते थे.
निवेश विकल्पों से जुड़ी खास बातें
एनपीएस और यूपीएस के तहत, केंद्र सरकार के कर्मचारी अब कई निवेश विकल्पों में से चुन सकते हैं। एक डिफॉल्ट विकल्प है जो समय-समय पर पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा परिभाषित निवेश का डिफॉल्ट पैटर्न है.
दूसरा विकल्प स्कीम-जी है जिसमें कम जोखिम, निश्चित रिटर्न के लिए 100 फीसदी निवेश सरकारी एसेट्स में होगा.
लाइफ साइकल (एलसी-25) विकल्प के तहत अधिकतम इक्विटी आवंटन 25 फीसदी है, जो 35 साल की आयु से 55 वर्ष की आयु तक धीरे-धीरे कम होता जाता है
जबकि एलसी-50 विकल्प में अधिकतम इक्विटी आवंटन रिटायरमेंट फंड के 50 प्रतिशत तक सीमित है।
बैलैंड लाइफ साइकल (बीएलसी) विकल्प एलसी50 का ही एक रिवाइज्ड वर्जन है, जिसमें इक्विटी आवंटन 45 साल की आयु से कम होता जाता है ताकि कर्मचारी लंबी अवधि के लिए इक्विटी में निवेश कर सकें.
वहीं एलसी75 विकल्प में अधिकतम इक्विटी आवंटन 75 फीसदी है, जो 35 साल की आयु से 55 वर्ष की आयु तक धीरे-धीरे कम होता जाता है.
सामान्य भाषा में कहे तो लाइफ साइकल निवेश विकल्प में इक्विटी में अधिकतम 25त्न निवेश किया जा सकता है, जो 35 साल की उम्र से 55 साल की उम्र तक धीरे-धीरे कम होता जाता है, जबकि बैलेंस्ड लाइफ साइकल निवेश विकल्प में इक्विटी में निवेश 45 साल की उम्र से कम होना शुरू होता है, इसमे कर्मचारी चाहें तो ज्यादा समय तक इक्विटी में निवेशित रहने का मौका मिलता है.
वित्त मंत्रालय के अनुसार, ये नए विकल्प न सिर्फ पेंशन स्कीम को अधिक व्यक्तिगत और अनुकूल बनाएंगे, बल्कि कर्मचारियों को अपनी रिटायरमेंट के लिए बेहतर वित्तीय सुरक्षा तैयार करने में भी मदद करेंगे।
इन्हें मिलेगी 25 लाख की ग्रेच्युटी
को लेकर एक बड़ा स्पष्टीकरण जारी किया है। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के तहत पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि ?25 लाख तक की अधिकतम ग्रेच्युटी केवल उन्हीं केंद्रीय सरकारी सिविल कर्मचारियों को मिलेगी, जो केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 या केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत ग्रेच्युटी का भुगतान) नियम, 2021 के तहत आते हैं। इसका मतलब यह है कि यह बढ़ी हुई ग्रेच्युटी सीमा सभी संस्थानों या कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी। यानी सार्वजनिक उपक्रमों , बैंकों, पोर्ट ट्रस्ट्स, भारतीय रिज़र्व बैंक , स्वायत्त संस्थानों , विश्वविद्यालयों , राज्य सरकारों या समाजों से जुड़े कर्मचारियों को इस बढ़ी हुई सीमा का लाभ नहीं मिलेगा। पेंशन विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि उसे लगातार कई आवेदन और संदर्भ प्राप्त हो रहे थे, जिनमें पूछा जा रहा था कि क्या 25 लाख तक की ग्रेच्युटी सीमा बैंकों, पीएसयू, आरबीआई, पोर्ट ट्रस्ट, विश्वविद्यालयों, स्वायत्त संस्थानों और राज्य सरकारों पर भी लागू होती है।
विभाग ने क्या कहा ये नियम केवल केंद्रीय सिविल सेवकों पर लागू होते हैं और अन्य संगठनों जैसे कि समाज, बैंक, पोर्ट ट्रस्ट, आरबीआई, पीएसयू, स्वायत्त निकाय, विश्वविद्यालय और राज्य सरकारों पर लागू नहीं होते। साथ ही यह भी कहा गया है कि ऐसे संस्थानों से संबंधित किसी भी प्रश्न या नियम की जानकारी के लिए संबंधित मंत्रालय या विभाग से संपर्क किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार ने 30 मई 2024 को जारी अधिसूचना में केंद्रीय कर्मचारियों की ग्रेच्युटी सीमा 20 लाख से बढ़ाकर ?25 लाख कर दी थी। यह निर्णय 1 जनवरी 2024 से प्रभावी हुआ। यह बढ़ोतरी उस समय की गई जब महंगाई भत्ता केंद्रीय कर्मचारियों के मूल वेतन का 50 प्रतिशत हो गया। नियमों के अनुसार, जब भी डीए 50 फीसदी तक पहुंचता है, तो सभी भत्तों में 25त्न की वृद्धि की जाती है। उसी क्रम में सरकार ने सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की सीमा में भी वृद्धि की।