‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 01 अप्रैल। हमेशा की तरह परम्परानुसार खैरागढ़ मुस्लिम समाज ने जश्रे ईद-ऊल-फितर का मुबारक त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया. स्थानीय दाऊचौरा स्थित ईदगाह की पाक सरजमीं पर सोमवार 31मार्च को सुबह 9 बजे मुस्लिम भाईयों को जामा मस्जिद के पेश ईमाम हाफिज फखरुद्दीन मिस्बाही ने परंम्परानुसार ईद की पाक नमाज अता करवाई।
ज्ञात हो कि रविवार की रात चांद की तस्दीक के बाद सोमवार 31 मार्च को ईद का मुबारक त्यौहार जोशोजश्न के साथ मनाया गया। ईदगाह में पेश इमाम साहब ने तकरीर की उसके बाद नमाजे ईदुलफितर मुस्लिम रवायत के मुताबिक अता की गई जिसके बाद ईद-ऊल-फितर का विशेष खुदबा पढ़ा गया व आखिर में सलातो-सलाम पढक़र वतन के अमन, चैन व खुशहाली के साथ सभी की सलामती की दुआ मांगी गई। दुआ के बाद मुसलमान भाईयों ने एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारक दी और कब्रिस्तान पहुंचकर अपने मरहुमो के ईसाले सवाब के लिये फातिहा पढ़ी वही इसके बाद नगर में दिनभर मुसलमान भाई एक दूसरे के घर जाकर ईद की मुबारकबाद देते रहे और सेवई-खीर तस्कीम का सिलसिला चलता रहा।
गौरतलब हैं कि ईस्लाम धर्म की मान्यता अनुसार मुसलमानो के लिये बेहद खास एवं पाक महीने रमजान में मुसलमानो पर एक माह तक रोजे रखने, कुरान की तिलावत करने, तरावीह सुनने और कसरत से खुदा की इबादत करना व जक़ात निकालना फर्ज और सुन्नत माना गया हैं और आखिरी रोजे के मुकम्मल होने के बाद चांद का दीदार कर जश्रे ईद मनाई जाती हैं। माना जाता हैं कि खुदा ने मुसलमानो पर खुद (स्वयं) का फितरा निकालना वाजिब फरमाया हैं, इसलिये ईद को ईदुलफितर कहा जाता हैं वही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के पाक महीने के बाद ही पहली बार कुरान आई थी। इसके अलावा माना जाता है कि 624 ईस्वी में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी तब अपनी सफलता की खुशी में उन्होंने लोगों का मुंह मीठा कराया था और पहली बार पैगंबर मोहम्मद साहब ने ही ईद मनाई थी। ईदगाह में नगर के साथ ही आसपास व दूरदराज के वनांचल क्षेत्र से आये मुसलमान भाईयों ने शिरकत की और त्यौहार को लेकर इस दौरान नौनिहालों से लेकर बड़े बुजुर्गों में खासा उत्साह नजऱ आया। नमाज के दौरान ईदगाह परिसर के नज़दीक व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस प्रशासन का सहयोग भी सराहनीय रहा।इस अवसर पर नगर पालिका उपाध्यक्ष एवं पूर्व सदर अब्दुल रज्जाक खान, हाफिज़़ मोहिब्बुल हक़, हाफिज जियाउल हक़, जामा मस्जिद सदर अरशद हुसैन, नायब सदर जफ़ऱ हुसैन खान, हाजी नासिर मेमन, हाज़ी रिज़वान मेमन, हाजी ईमरान मेमन, हाजी मोहसिन अली, हाजी जाहिद अली, हाजी मुर्तजा खान, जामा मस्जिद के कोषाध्यक्ष मो. इदरीस खान, कासिम खान, इकरा फाउंडेशन के अध्यक्ष खलील कुरैशी, जिला मुस्लिम समाज के सचिव मो. याहिया नियाज़ी, शमसुल होदा खान, जफऱ उल्लाह खान, जहीन खान, मो. सगीर खान, सैय्यद अल्ताफ अली, अय्यूब सोलंकी, मो. यजदान नियाज़ी, फारुख मेमन, नाजिम होदा खान, जुनैद खान, जाकिर अली, जमीर कुरैशी, कदीर कुरैशी, डॉ. मकसूद अहमद, मतीन अशरफ, जाकिर हुसैन, कय्यूम कुरैशी, जमीर अहमद खान, रियाजुद्दीन कादरी, गौस मोहम्मद बेग, अरमानुल हक, जमील मेमन, जुनैद खान, समीर कुरैशी, सैय्यद शौकत अली, कलीम अशरफी, सलीम सोलंकी, तारिक अमान, सादिक मोतीवाला, जाफर झाड़ूदिया, शादाब खान, नदीम मेमन, सोहैल खान, अमीन मेमन, अरमानुल हक, सोहैल अशरफ व राजा सोलंकी सहित बेहतर शांति व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस अधीक्षक त्रिलोक बंसल व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नितेश कुमार गौतम के निर्देश पर उप पुलिस अधीक्षक लालचंद मोहले, खैरागढ़ थाना प्रभारी अनिल शर्मा, एएसआई प्रकाश सोनी, एएसआई कमलेश बनाफर, आरक्षक चंद्रकांत वर्मा, कमलेश कोर्राम व मुरली वर्मा भी ईदगाह में मौजूद रहे और पुलिस की व्यवस्था सराहनीय रही।