खैरागढ़-छुईखदान-गंडई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 31 मार्च। इंदिरा कला संगीत विश्व विद्यालय में दृश्य कला के छात्र अनमोल गोयल द्वारा संगीत मंथन शीर्षक से इंस्टॉलेशन परफॉर्मेंस आर्ट प्रतिष्ठापन प्रदर्शन कला की मोहक प्रस्तुति हुई।
अनमोल ने अपने इस इंस्टॉलेशन कार्य में दिखाया कि दृश्य कला और संगीत कला का कैसे संयोजन हो सकता हैं। कबाड़ से प्राप्त अनुपयोगी वस्तुओं को संगृहीत कर एक वृक्ष तैयार करके अनमोल ने उनकी डालियों को लोकवाद्यों से सजाकर यह बताने का प्रभावी प्रयास किया कि वृक्षों की तरह संगीत भी प्राण वायु देता हैं। कलाकार अनमोल की दिली इच्छा है कि इस कलाकृति को हाथों से निर्मित कर विश्वविद्यालय में स्थापित किया जाए।
संगीत मंथन पर आधारित हर्ष चंद्राकर, वेदप्रकाश , करण तारम, कामेश साहू, मनोज बासोर, ललित, उजित एवं खेलावन ने प्रस्तुतियां दी। संगीत पक्ष में साथ किसन गावेल,जयंत, भूषण, प्रणव एवं ऋषिराज ने दिया। नित्य प्रस्तुति मयंक एवं राजदीप ने दी।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रेमकुमार पटेल,कुलसचिव इंदिरा कला संगीत विश्व विद्यालय ने कहा कि महानगर दिल्ली के छात्र अनमोल ने यहां की कला कृति को संगीत मंथन के द्वारा मोहक अंदाज में प्रस्तुत किया है जो अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायी है। जो भी विद्यार्थी ऐसा प्रदर्शन करेंगे, उन्हें भरपूर सहयोग दिया जाएगा।
प्रो. राजन यादव विभागाध्यक्ष - चित्रकला, मूर्तिकला, छापाकला,कला का इतिहास एवं सौंदर्यशास्त्र,हिंदी विभाग ने कहा कि ललित कलाएं भूगोल का बंधन तोड़ती है। जो ज्ञान की बाते हैं, वह कला के द्वारा प्रभावी ढंग से व्यक्त की जाती है। छात्र अनमोल ने अपनी इस प्रस्तुति से यह सिद्ध कर दिया है।
इस कार्यक्रम में लोकसंगीत एवं कला संकाय के अधिष्ठाता डॉ. योगेंद्र चौबे,दृश्यकला संकाय के शिक्षक डॉ. रविनारायण गुप्ता, डॉ. छगेंद्र उसेंडी, कपिल सिंह वर्मा, डॉ. विकास चंद्रा, संदीप किंडो के अलावा अन्य विभागों के शिक्षक एवं विद्यार्थी गण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विप्लव सिंह, गणेश कुमार साहू, हर्ष चंद्राकर, रितेश, बालेन्दु मिश्र , पुनेश, कानन, हिमसागर राज बघेल, नीलेश, अनुराग, मयंक, ऋषिकेश एवं पुरुष छात्रावास के समस्त विद्यार्थियों का विशेष सहयोग रहा।
कार्यक्रम का संचालन समीरचंद्र साहू ने तथा आभार व्यक्त कपिल सिंह वर्मा सहायक प्राध्यापक कला का इतिहास एवं सौंदर्यशास्त्र विभाग ने किया।