हाईकोर्ट के फैसले से किसानों के चेहरे खिले..
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 21 जून। रायपुर जिले की गोबरा नवापारा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सोनेसिली में सामूहिक कृषि सहकारी समिति के लगभग 45 परिवारों, जिनमें 350 से 400 सदस्य शामिल हैं, ने एक लंबे और कठिन संघर्ष के बाद आखिरकार न्याय प्राप्त किया है। इन परिवारों ने पिछले 50-60 वर्षों से लगभग 90 एकड़ जमीन (खसरा नंबर 1018, 1136, 1137, 1150 और 352) पर मेहनत और लगन से खेती-किसानी की, जिससे न केवल उनका बल्कि उनके परिवारों का भरण-पोषण भी हुआ। यह जमीन इनके लिए आजीविका का आधार थी, जो पीढिय़ों से उनके खून-पसीने से सींची गई थी।
हालांकि, वर्ष 2021 में ग्राम पंचायत सोनेसिली ने इस जमीन को अवैध कब्जा बताकर किसानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। इस कार्रवाई ने इन मेहनती किसानों के सामने अभूतपूर्व संकट खड़ा कर दिया। उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा, आजीविका छिनने का खतरा मंडराने लगा और आर्थिक तंगी के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ा। कई परिवारों को अपने बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और दैनिक जरूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ा। इसके बावजूद, इन किसानों ने हार नहीं मानी और अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई लडऩे का फैसला किया।
इसी क्रम में, किसान रामकुमार साहू पिता चैता राम साहू ने अन्य प्रभावित परिवारों की ओर से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर में याचिका दायर की। इस याचिका में उन्होंने दशकों से चले आ रहे उनके कब्जे और खेती-किसानी के अधिकार को मान्यता देने की मांग की। मामले की सुनवाई के दौरान किसानों ने अपने दस्तावेज और तथ्य पेश किए, जिसमें यह स्पष्ट था कि यह जमीन उनके लिए केवल मिट्टी का टुकड़ा नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी और सम्मान का आधार है। 13 जून 2025 को उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
कोर्ट ने किसानों के पक्ष में आदेश देते हुए उन्हें खसरा नंबर 1018, 1136, 1137, 1150 और 352 की जमीन पर फसल उगाने का पूर्ण अधिकार दिया। इसके साथ ही, ग्राम पंचायत सोनेसिली के सरपंच द्वारा इस जमीन पर किए जा रहे सभी निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी प्रतिवादी (विरोधी पक्ष) किसानों के शांतिपूर्ण कब्जे में किसी भी तरह का खलल नहीं डाल सकते। इस फैसले ने न केवल किसानों को उनकी जमीन वापस दिलाई, बल्कि उनके वर्षों के संघर्ष और मेहनत को भी सम्मान दिया।
इस पूरे प्रकरण के दौरान, सोनेसिली के किसानों ने असंख्य कठिनाइयों का सामना किया। आर्थिक तंगी ने उनके परिवारों को तोडऩे की कोशिश की, मानसिक तनाव ने उनकी नींद उड़ा दी, और शारीरिक थकान ने उनके हौसले को बार-बार चुनौती दी। फिर भी, इन किसानों ने न्यायपालिका पर अटूट विश्वास बनाए रखा। उनके इस विश्वास का परिणाम है कि आज वे अपनी जमीन पर फिर से सिर उठाकर खेती कर सकते हैं। यह फैसला उनके लिए केवल कानूनी जीत नहीं, बल्कि उनके आत्मसम्मान और मेहनत की जीत है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह फैसला न केवल सोनेसिली के किसानों के लिए, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के उन तमाम किसानों के लिए एक मिसाल बनेगा, जो अपनी जमीन और हक के लिए लड़ रहे हैं। यह मामला यह भी दर्शाता है कि एकजुटता और कानूनी प्रक्रिया के प्रति विश्वास किस तरह से अन्याय के खिलाफ जीत हासिल कर सकता है। सोनेसिली के किसानों की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। इस फैसले के बाद, सोनेसिली गांव में खुशी का माहौल है। किसान परिवार फिर से अपनी जमीन पर फसल बोने की तैयारी में जुट गए हैं। उनकी आंखों में अब नई उम्मीद और उत्साह है। यह जीत न केवल उनकी मेहनत का फल है, बल्कि भारतीय न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता का भी प्रमाण है।