गरियाबंद

रैली निकल सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 4 जुलाई। जिले में 4000 से अधिक आदिवासियों ने वन अधिकार नियमों में बदलाव के विरोध में एक विशाल रैली निकाली। बरसते पानी के बावजूद आदिवासी समुदाय का यह प्रदर्शन जारी रहा, जिसमें उन्होंने वन अधिकार अधिनियम के नियमों को यथावत रखने की मांग की। रैली का नेतृत्व आदिवासी विकास परिषद, जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम और लोकेश्वरी नेताम ने किया।
बुधवार को जिले के आदिवासी समाज द्वारा मजरकट्टा स्थित आदिवासी समुदायिक भवन में एकत्रित हो वन अधिकार नियमों में बदलाव के विरोध में रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पहले वन अधिकार पट्टा देने की जिम्मेदारी आदिवासी विकास विभाग की थी, लेकिन अब वन विभाग को नोडल अधिकारी नियुक्त करने का प्रस्ताव है, जिसका वे विरोध कर रहे हैं। उन्होंने ग्राम सभा के अधिकारों को कमजोर करने का भी आरोप लगाया।
रैली के बाद कलेक्ट्रेट के बाहर जमकर नारेबाजी की गई और अपर कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में मांग की गई कि वन अधिकार नियमों में बदलाव को रद्द किया जाए और पहले की व्यवस्था को बहाल किया जाए। आदिवासियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने कहा कि आज का यह आंदोलन सिर्फ एक विरोध नहीं बल्कि हमारी अस्मिता की लड़ाई है। जो अधिकार हमें संविधान और कानून से मिले हैं, उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है। वन विभाग द्वारा ग्रामसभाओं के अधिकारों में हस्तक्षेप सीधे हमारे स्वशासन और जीवन-शैली पर हमला है। हम इसके खिलाफ हर लोकतांत्रिक मंच पर लड़ेंगे।
जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम ने कहा कि यह प्रदर्शन यह साबित करता है कि आदिवासी समाज जागरूक है और अपने अधिकारों को लेकर एकजुट भी।
महिलाओं की भागीदारी इस आंदोलन की विशेषता रही। हम चाहते हैं कि ग्रामसभाओं को पूरी तरह सशक्त किया जाए, ताकि वे अपनी ज़मीन, जंगल और संसाधनों का प्रबंधन खुद कर सकें। यह अधिकार कोई कृपा नहीं, हमारी हकदारी है।