प्लांट निजीकरण के विरोध में झाड़ेश्वर परिवहन समिति के सदस्यों ने इस्पात सचिव को सौंपा ज्ञापन
प्लांट के निजीकरण के मुद्दे पर झाड़ेश्वर परिवहन समिति गंभीर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 01 अप्रैल। नगरनार इस्पात के निजीकरण को ले कर एक बार फिर मामला गम्भीर होता दिखाई दे रहा है। नगरनार के निजीकरण के विरोध में जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति विरोध में उतर चुकी है।
रविवार को झाड़ेश्वर परिवहन समिति के सदस्यों द्वारा इस्पात के निजीकरण को ले कर धरना प्रदर्शन प्रारंभ किया था। मंगलवार को इस्पात सचिव संदीप पौड्रिक इस्पात दौरे पर जगदलपुर पहुँचे हुए थे। इस दौरान इस्पात के विनिवेशीकरण का विरोध कर रहे जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति के सदस्यों ने अध्यक्ष रैनु बघेल के नेतृत्व में इस्पात सचिव से मुलाकात की हैं।
जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति के अध्यक्ष रैनु बघेल ने जानकारी देते हुए बताया कि नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेशीकरण के विरोध में हमारी परिवहन समिति पुरजोर विरोध कर रही है। रविवार को हमारे समिति की ओर से इस मामले को ले कर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। आज नगरनार प्लांट पहुँचे इस्पात सचिव से हमारे समिति के सदस्यों ने मुलाकात की है।
इस दौरान उनसे हमने नगरनार प्लांट के विषय में चर्चा की हैं। साथ ही कई विषयों को लेकर उन्हें ज्ञापन भी सौंपा है।
नगरनार के विनिवेशीकरण को ले कर हम अंतिम साँस तक विरोध करते रहेंगे।
जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति के सदस्यों की निम्नलिखित मांगे है-
(1) नगरनार के आसपास बस बस्तर संभाग के आदिवासियों का पुस्तैनी जमीन पर एनएमडीसी की ओर से स्टील प्लांट स्थापित किया गया है। यह कंपनी हमारे विकास में सहायक बनी है। हमें रोजी-रोटी, रोजगार, बच्चों की नौकरी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं देकर हमें लाभान्वित कर रही है। इसी के लिए हमलोग ने अपने जीवन के एकमात्र आधार जंगल और जमीन को एनएमडीसी के सुरक्षित हाथों में सौंपा था। यह सोचकर कि भारत सरकार की ये संस्था संवैधानिक तरीके से हमारे हितों के संरक्षण और संवर्धन में सहायक होगी। कंपनी ने अपने सेवा कार्यों से हमेशा इसका एहसास कराया और हमें मायूस नहीं होने दिया।
(2) एनएमडीसी एकमात्र ऐसी कंपनी है, जो बस्तर के आस-पास के आदिवासी समुदाय को अपना परिवार समझकर उनकी देखभाल करती है। हम आदिवासी भी मानते हैं कि अपने पुरखों की जिस संचित जमीन को जिस उद्देश्य से हमने कंपनी को ट्रांसफर किया था वो पूरा हो रहा है।
(3)नगरनार का एनएमडीसी स्टील प्लांट केवल प्लांट नहीं है, यह बस्तर के आदिवासी लोगों के जीवन की आशा, उम्मीद और जीने का आधार है।
हमारा जीवन, हमारा प्राण एवं हमारे परिवारों की भावनाएं नगरनार इस्पात संयंत्र से जुड़ी हुई है। ऐसा स्नेह और परस्पर विश्वास का बंधन कोई भी निजी कंपनी से नहीं बन सकता, चाहे वो कितनी बड़ी क्यों ना हो। हम सब ये जानते और मानते है कि प्राइवेट कंपनियों का पहला लक्ष्य मुनाफा कमाना होता है। वे हमारे हितों की रक्षा नहीं कर सकते।