गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण, शासन-प्रशासन की अनदेखी से बढ़ा आक्रोश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 16 मार्च। आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत खजूरी के सैकड़ों ग्रामीण पिछले डेढ़ साल से पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। गांव में सौर ऊर्जा से संचालित सोलर पंप और टंकी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं। प्रशासन की अनदेखी के कारण यह सोलर पंप अब केवल शोपीस बनकर रह गया है। ग्रामीणों ने विधायक, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी इस गंभीर समस्या को हल करने की जहमत नहीं उठाई।
पेयजल संकट के चलते ग्रामीणों को नदी, कुंआ और ढोंढी (छोटे जल स्रोत) का गंदा पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। यह पानी दूषित होने के कारण गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। खासकर बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। गर्मी के मौसम में यह संकट और भी भयावह रूप ले सकता है।
खजूरी ग्राम पंचायत में क्रीड़ा विभाग सूरजपुर द्वारा सौर सुजला योजना के तहत सोलर पंप स्थापित किया गया था, ताकि ग्रामीणों को नि:शुल्क और स्वच्छ पानी मिल सके। लेकिन खराब गुणवत्ता वाले उपकरणों के कारण यह पंप कुछ ही महीनों में खराब हो गया। इसके बाद से शासन-प्रशासन ने आंखें मूंद ली और जनप्रतिनिधियों ने भी कोई सुध नहीं ली।
जनता में बढ़ता आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
गांव के लोगों ने कई बार शिकायतें दर्ज करवाईं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। आज हालात ऐसे हैं कि ग्रामीण अब आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। यदि जल्द ही इस समस्या का हल नहीं निकला तो ग्रामीण प्रदर्शन और धरना देने को मजबूर होंगे।
इस बारे में जनपद सीईओ राधेश्याम मीरझा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि क्रेडा विभाग को पत्र लिखकर समाधान का प्रयास किया जाएगा। और मैं स्वयं जाकर देखता हु। पानी की कीमत किसी भी ग्रामीण को नहीं होनी चाहिए पंचायत सचिव सहित जांच दल भेजता हूं। और मैं स्वयं भी जाऊंगा।
एसडीएम ललिता भगत ने कहा कि मामला गंभीर है और उच्च अधिकारियों को इस संबंध में अवगत कराया जाएगा और जल्द से जल्द अपनी व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी।