‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 28 नवंबर। सूरजपुर जिला के प्रतापपुर वन क्षेत्र के ग्राम सरहरी के गोरहाडांड़ इलाके के जंगल में एक नर हाथी का सड़ा-गला शव मिला है। यह शव सड़ी-गली अवस्था में पाया गया, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि हाथी की मौत कई दिन पहले हो चुकी थी। शव के आसपास की स्थिति और उसकी खराब हालत को देखते हुए यह सवाल उठने लगे हैं कि वन विभाग ने इस मामले में लापरवाही बरती है।
जंगल के बीच सड़े हुए शव की जानकारी सबसे पहले ग्रामीणों ने दी, जो लकड़ी काटने के लिए जंगल में गए थे। शव की दुर्गंध से यह साफ था कि हाथी की मौत काफी पहले हो चुकी थी।
हालांकि, वन विभाग के अधिकारी यह स्वीकार कर रहे हैं कि शव की स्थिति को देखते हुए मौत का कारण स्पष्ट रूप से पता लगाना मुश्किल हो सकता है। विभाग ने प्रारंभिक जांच में शिकार या प्राकृतिक मौत के पहलुओं पर विचार करना शुरू कर दिया है।
हाथियों के लिए
बढ़ता खतरा
प्रतापपुर क्षेत्र में हाथियों का विचरण आम है, लेकिन यहां मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह हाथी कई दिन से इलाके में नजर नहीं आ रहा था, और इसके गायब होने की सूचना वन विभाग को दी गई थी।
यह घटना वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। वन विभाग के रेंजर और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण एक के बाद एक हाथियों की मौतें हो रही हैं, लेकिन विभाग का कोई ठोस कदम नहीं दिखाई दे रहा। अधिकारियों पर आरोप है कि वे क्षेत्र में कम आते हैं और अंबिकापुर से अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। इसके चलते वन्यजीवों की सुरक्षा पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।
ग्रामीणों में चिंता का माहौल
हाथी की मौत के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों में चिंता का माहौल है। वे वन विभाग से मांग कर रहे हैं कि हाथियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। वहीं, पर्यावरण प्रेमी और हाथी प्रेमी इस मामले पर आक्रोशित हैं और वन विभाग की निष्क्रियता को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
वन विभाग ने मामले की गंभीरता को समझते हुए वन्यजीव विशेषज्ञों और डॉक्टरों की टीम को बुलाया है। पोस्टमार्टम और विस्तृत जांच के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा। इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण की दिशा में गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
फिलहाल, वन विभाग के अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं और उन्होंने मोबाइल फोन भी बंद कर दिए हैं।
कड़ी कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और वन विभाग से सख्त कार्रवाई की मांग की है।