बस्तर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 14 मार्च। पूर्व विधायक लछुराम कश्यप ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि स्व. बलिराम कश्यप मेडिकल कॉलेज डिमरापाल सह अस्पताल का नाम बदलकर खुद की पीठ थपथपा रही है, वहीं जिला प्रशासन सरकार के इस कृत्य को सही साबित करने के लिए सफाई भी देती फिर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि सबसे बड़ा सवाल तो यह उठता है कि आखिर कांग्रेस की राज्य सरकार को दिवंगत महेंद्र कर्मा के नाम पर सरकारी सह अस्पताल का नाम करने की जरूरत क्यों पड़ गई है। दरअसल राज्य सरकार में जब से कांग्रेसी आई है, उनके नेता अपनी उपलब्धि को जनता तक भ्रामक तरीके से ही पहुंचाते रहे हैं। यह कोई पहली दफा नहीं हुआ, जब कांग्रेस की सरकार ने भाजपा के 15 वर्षों में किए गए कार्यों को अपना थप्पा लगाने की कोशिश की हो। इससे पूर्व कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम बदलने का प्रयास भी जनता से छुपा नहीं है, वहीं दिवंगत महेंद्र कर्मा के बेटे को डिप्टी कलेक्टर बनाने के फैसले पर भी सरकार खुद की फजीहत करा चुकी है।
राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी के नाम पर किसानों के लिए चलाई जा रही योजना का नाम बदलकर दिवंगत महेंद्र कर्मा के नाम करने की हिम्मत जुटा नहीं पाएगी, इसलिए इस सरकार को बस्तर के आदिवासी भाइयों की जन भावनाओं से खिलवाड़ करना पसंद है। सरकार द्वारा लिए गए नाम बदलने के निर्णय के बाद बस्तर सांसद दीपक बैज व बस्तर प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने सरकार के इस फैसले का श्रेय लेने खुद पड़े हैं।
मैं इस दोनों नेताओं से पूछना चाहूंगा क्या दोनों नेता राज्य सरकार द्वारा जबरन शुरू किए गए बोधघाट परियोजना का नाम भी किसी कांग्रेसी नेता के नाम करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे, क्योंकि इन नेताओं को आदिवासियों की आवाज सुनने का बिल्कुल भी समय नहीं है। अगर कांग्रेस की राज्य सरकार अपने फैसले को वापस नहीं लेती है तो आदिवासी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए आंदोलनों का सामना करने सरकार को तैयार रहना चाहिए।