बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 10 अक्टूबर। पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के संचालक रमित मौर्य ने आज बस्तर जिले के ग्राम घाटकवाली (ब्लॉक बस्तर) का भ्रमण किया। इस अवसर पर उन्होंने ग्राम सभा द्वारा पेसा कानून के तहत संचालित ग्राम स्तरीय व्यवस्थाओं, निर्णय प्रक्रिया और विभिन्न समितियों की कार्यप्रणाली का विस्तृत अवलोकन किया।
भ्रमण के दौरान श्री मौर्य ने ग्रामीणों से संवाद करते हुए आदिवासी समाज की पारंपरिक शासन व्यवस्था, खेल, संस्कृति और स्थानीय ज्ञान प्रणाली को गहराई से समझा। ग्रामवासियों ने संचालक श्री मौर्य का धुर्वा गमछा और स्मृति चिन्ह भेंट कर आत्मीय स्वागत एवं सम्मान किया। ग्राम सभा द्वारा गठित विभिन्न समितियों के सदस्यों ने अपने-अपने कार्यों और ग्राम सभा के नियमों की जानकारी साझा की। ग्राम सभा द्वारा बनाए गए प्रमुख नियमों में शामिल हैं।
प्रत्येक घर से एक पुरुष एवं एक महिला का ग्राम सभा में उपस्थित रहना अनिवार्य है, ठेंगा पारी प्रणाली के माध्यम से ग्राम सभा द्वारा जंगल की सुरक्षा की जा रही है, ग्राम सभा ने 6 एकड़ अतिक्रमित वन भूमि को मुक्त कराया है, उक्त भूमि पर काजू का पौधारोपण किया गया है, बाजार समिति के माध्यम से शराब की बिक्री पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है।
शांति एवं न्याय समिति के सदस्य श्री रामनाथ कश्यप ने बताया कि ग्राम स्तर पर उत्पन्न आपसी विवादों का समाधान ग्राम सभा समानता एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया से करती है। और लगभग 4 से 5 केस का निपटारा अब तक शांति एवं न्याय समिति के द्वारा किया गया है।
शिक्षा समिति के सदस्य पदमनाथ कश्यप ने ग्राम सभा की नियमित बैठकों, पौधारोपण, जंगल सुरक्षा, गौण वन उपज तथा गौण खनिज प्रबंधन संबंधी और ग्राम स्तर पर शिक्षा समिति द्वारा शिक्षा की स्थिति को सुधारने की दृष्टि से किए जा रहे गतिविधियों पर विस्तार से जानकारी दी। बैठक के अंत में ग्राम सभा ने पेसा कानून के संचालन में आ रही चुनौतियों पर चर्चा की और संचालक को एक लिखित आवेदन सौंपा, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखी गईं —1. ग्राम सभा सचिव चयन का अधिकार: वर्तमान में पंचायत सचिव ही ग्राम सभा सचिव का कार्यभार संभालते हैं, जिससे रात्रीकालीन अथवा आवश्यकतानुसार बैठकें आयोजित करने में कठिनाई आती है।
ग्राम सभा को स्वयं अपने सचिव चुनने का अधिकार दिया जाए ताकि शिक्षित ग्रामीण युवाओं को यह दायित्व सौंपा जा सके।
2. ग्राम सभा कोष संचालन का अधिकार: वर्तमान में ग्राम सभा कोष का संचालन सरपंच/पंचायत सचिव द्वारा किया जाता है। इसे बदलकर ग्राम सभा अध्यक्ष एवं क्रक्करूष्ट, शांति एवं न्याय समिति के सदस्यों को यह अधिकार प्रदान किया जाए।
3. क्षमतावर्धन कार्यक्रमों का आयोजन: ग्राम सभाओं के लिए प्रशिक्षण, कार्यशाला या अध्ययन भ्रमण का आयोजन लंबे समय से नहीं हुआ है। अत: जिला, ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर नियमित क्षमतावर्धन कार्यशालाओं एवं अध्ययन भ्रमणों की व्यवस्था की जाए तथा इसके लिए ग्राम स्तर पर बजट प्रावधान सुनिश्चित किया जाए।
4. महिला सहभागिता बढ़ाना: पेसा कानून की समझ महिलाओं में अपेक्षाकृत कम है। महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व क्षमता बढ़ाने हेतु विशेष प्रशिक्षण एवं संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए।
5. ग्राम सभा की भूमिका को सुनिश्चित करना: पंचायत विकास योजनाओं में ग्राम सभा को एक अनिवार्य निर्णयकारी घटक के रूप में शामिल किया जाए, जिससे ग्राम विकास की प्रक्रिया अधिक लोकतांत्रिक एवं सहभागी बन सके।
कार्यक्रम के दौरान जनपद पंचायत सीईओ भानु प्रताप, जिला ऑडिटर दिनेश साहू एवं उप संचालक (पंचायत) वीरेंद्र बहादुर उपस्थित रहे।
श्री मौर्य ने ग्राम घाटकवाली में पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन, ग्राम व्यवस्था एवं ग्रामवासियों के सामूहिक प्रयासों की सराहना की तथा कहा कि घाटकवाली ग्राम में किए जा रहे नवाचार और ग्राम शासन की पारदर्शी व्यवस्था को देखते हुए इसे राष्ट्रीय स्तर पर पेसा आदर्श ग्राम घोषित करने की संभावना पर विचार किया जाएगा।


