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बस्तर दशहरा: किलेपाल परगना की रथ खींचने की परंपरा को लेकर बैठक
27-Sep-2025 10:58 PM
बस्तर दशहरा: किलेपाल परगना की रथ खींचने की परंपरा को लेकर बैठक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 27 सितंबर। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व,जो बस्तर की संस्कृति और आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक है। उसकी तैयारियों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक किलेपाल में आयोजित की गई। यह पर्व पचहत्तर दिनों तक चलता है और भारत का सबसे लंबा त्योहार माना जाता है। यह पर्व बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी को समर्पित है तथा इसमें स्थानीय जनजातियों की संस्कृति,आस्था और परंपराओं का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

बैठक का मुख्य विषय किलेपाल परगना द्वारा विजय रथ खींचने की परंपरा रहा। बस्तर दशहरा की सबसे महत्वपूर्ण रस्मों में से एक है आठ पहियों वाले विजय रथ की परिक्रमा, जिसकी जिम्मेदारी किलेपाल गांव की जनजाति को दी जाती है। यह परंपरा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि विभिन्न परगनों और समुदायों को जोडऩे वाला सामाजिक एकीकरण का दर्पण भी है। किलेपाल परगना के ग्रामीण इस जिम्मेदारी को सदियों से निभाते आ रहे हैं और इसे अपना गौरव मानते हैं।

बस्तर दशहरा में विजय रथ से जुड़ी एक और अनूठी रस्म है भीतर रैनी, जिसे रथ चोरी की परंपरा भी कहा जाता है। इस विधान के अंतर्गत मावली मंदिर की परिक्रमा के बाद किलेपाल परगना के ग्रामीण सामूहिक रूप से रथ को खींचकर शहर से बाहर ले जाते हैं और उसे कुम्हड़ाकोट के जंगल में रखा जाता है। अगले दिन पुन: रथ को वापस दंतेश्वरी मंदिर लाया जाता है। यह प्रथा न केवल बस्तर दशहरा की विशेषता है, बल्कि किलेपाल परगना की भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना देती है।

बस्तर सांसद एवं समिति अध्यक्ष महेश कश्यप ने कहा कि बस्तर दशहरा हमारी संस्कृति और आस्था का जीवंत प्रतीक है। किलेपाल परगना द्वारा विजय रथ खींचने और भीतर रैनी की परंपरा न केवल हमारे इतिहास को जीवित रखती है, बल्कि आने वाली पीढिय़ों को अपनी जड़ों से जोडऩे का कार्य भी करती है। यह गौरवशाली जिम्मेदारी किलेपाल परगना के ग्रामीण बड़ी निष्ठा और आस्था से निभाते आए हैं। साथ ही बस्तर दशहरा को विश्व विरासत सूची में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि इस अद्वितीय पर्व की पहचान वैश्विक स्तर पर हो।

समिति उपाध्यक्ष बलराम मांझी ने कहा कि यह परंपरा हमारी पहचान है। रथ खींचने की यह जिम्मेदारी किलेपाल परगना के ग्रामीणों को सदियों से सौंपी जाती रही है और यही कारण है कि बस्तर दशहरा विश्व पटल पर अलग पहचान बनाए हुए है। हम सबका दायित्व है कि इस परंपरा को संरक्षित और सुरक्षित रखें।

इस अवसर पर आयोजित बैठक में दशहरा समिति अध्यक्ष एवं बस्तर सांसद महेश कश्यप,समिति उपाध्यक्ष बलराम मांझी,जिला पंचायत उपाध्यक्ष बलदेव मंडावी, जनपद उपाध्यक्ष बास्तानार विनोद कुहरामी, रायकेरा परगना लक्ष्मण मांझी, पंडरीपानी परगना तिरनाथ मांझी, कचरा पाटी परगना सोमारु मांझी, किलेपाल परगना गंगा मांझी, किलेपाल चालकी डमरू कुहरामी, बामन, मोसु,मंडल अध्यक्ष सुनील कुहरामी सहित किलेपाल परगना के गायता मांझी, चालकी, परगना के सदस्य एवं स्थानीय जनप्रतिनिधिगण सौजन्य उपस्थिति में शामिल हुए।


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