सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 26 अप्रैल। सोमवार को सूर्य के चारों ओर एक वलयाकार आकृति काफी देर तक बनी रही, जो लोगों के बीच कौतूहल का विषय बना रहा। मौसम वैज्ञानिक श्री भट्ट ने बताया कि इस समय सूर्य के चारों ओर इन्द्रधनुष सूर्यमंडल बना हुआ है। उच्च स्तरीय बादलों का तापमान कम होने के कारण इनमें जल के कण ठोस रूप में रहते हैं। जब ये पानी के ठोस क्रिस्टल षट्कोणीय आकार ले लेते हैं और इनके ठीक ऊपर से सूर्य की किरणें आपतित होती हैं तब सूर्य किरणों का अपवर्तन हो जाता है। यह ठीक वैसी ही घटना होती है जैसा प्रिज्म से प्रकाश के गुजरने पर होती है। इसमें प्रकाश की किरणें 22 से 46 डिग्री की झुकाव के साथ अपवर्तित हो कर वलय बना ती हैं। इसे विज्ञान की भाषा में प्रभामण्डल कहते हैं। यह पूरी तरह प्राकृतिक प्रकाशीय अपवर्तन की घटना है।
पीजी कालेज के प्रो. डॉ. अनिल सिन्हा ने बताया कि बताया कि यह सूर्य का आभामंडल है, जिसे अंग्रेजी में हालो कहते हैं। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। इसका धार्मिक रूप से कोई लेना-देना नहीं है। चूंकि सूर्य सबसे शक्तिशाली है, इस कारण इतनी चमकदार आकृति बनी। यह आकृति कभी-कभार चंद्रमा के चारों ओर भी बनती है लेकिन वह उतनी स्पष्ट दिखाई नहीं देती। डॉ. सिन्हा ने बताया कि आसमान में प्रदूषण की मात्रा फिलहाल कम है, इस कारण आज यह स्पष्ट दिखाई दिया। उन्होंने बताया कि जब वायुमंडल की परिस्थितियां बदलती हैं, तब ही यह दिखाई देता है। वायुमंडल के बदलने पर ही यह निर्भर करता है। सूर्य का आभा मंडल बनना कोई बड़ी बात नहीं है, यह ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है, जिसमें जितना ज्यादा ऊर्जा होता है, उसका आभामंडल उतना ही ज्यादा बनता है।