सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,7 जुलाई। मुस्लिम समुदाय ने रविवार को हजऱत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत की याद में मातमी पर्व मोहर्रम शिद्दत के साथ मनाया। इस्लाम धर्म के मुताबिक मोहर्रम इस्लामी साल का पहला महीना होता है।
जहां 1 मोहर्रम से 6 मोहर्रम तक जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती खलीदुल कदरी अलगौसी साहब ने हजरत इमाम हुसैन की शान में कर्बला का वाकया बयान किए व 8 मोहर्रम को बच्चों का प्रोग्राम कराकर हौसला अफजाई इनाम व नगद देकर कमेटी के द्वारा सम्मानित किया गया।
नगर लखनपुर में दसवीं तिथि पहलाम के रोज ताजियादारों ने ईमाम बाड़ा से मर्सिया बजाते हुए दुल्ला बाबा की सवारी के साथ ताजिया वा अलम मातम के साथ जुलूस निकाले। नगर के गलियारों में नाले अरधात तथा नाले हैदर के नाम से आने वाले मो0 फरीद खान और मो0 जाकिर हुसैन दुल्ला बाबा के अद्भुत सवारी को देखने तथा मन्नत मांनने झाड़ फूंक कराने वालों की भीड़ लगी रही। दुल्ला बाबा के सवारी ने अपनी दुआओं से सबकी सलामती एवं खुशहाली के लिए अल्लाह तआला से फरियाद किये।
ताजियादारों का काफिला इमाम बाड़ा से निकल कर कदमी चौक पठानपुरा, बिलासपुर मुख्य मार्ग, बस स्टैंड, पैलेस रोड नगर के विभिन्न गलियों से गुजरते राज महल के सामने पहुंची जहां पुराने जमाने से चली आ रही रिवायत के मुताबिक राजपरिवार के सदस्यों ने बाकायदे इत्र ,गुलाबजल फूल मालाओं से दुल्ला बाबा सवारी तथा ताजिया का स्वागत किये।
रस्म अदायगी के बाद बरसते बरसात में भीगते हुए ताजिया जुलूस बाजारपारा होते हुये देर शाम नगर लखनपुर के शिवपुर वार्ड में मौजूद शहीद-ए-करबला मुकाम पर पहुंचा जहां कौम के जानकारों ने फातिहा पढ़ी । बाद इसके ताजिया को विसर्जित तथा दुल्ला बाबा सवारी को ठंडा किया गया।
इस तरह से मातमी पर्व मुहर्रम का सफर मुकम्मल हुआ।