सूरजपुर

बच्चों को गलत दृष्टि से घूरना भी लैंगिक अपराध, किया जा रहा है जागरूक
11-Nov-2024 10:40 PM
बच्चों को गलत दृष्टि से घूरना भी लैंगिक अपराध, किया जा रहा है जागरूक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सूरजपुर, 11 नवंबर। कलेक्टर एस. जयवर्धन के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी रमेश साहू के मार्गदर्शन मे जिले में बाल संरक्षण के विभिन्न विषयों की जानकारी स्कूलों, कॉलेजों एवं पंचायत प्रतिनिधियों के बीच दी जा रही है, ताकि सभी इस विषय पर जागरूक हो जाये।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में कार्यक्रम किये जा रहे हंै। इसी क्रम में हायर सेकेण्डरी स्कूल महंगई में विभिन्न विषयों पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। शा.उ.मा.वि. महगंई विकासखंड प्रेमनगर के प्रांगण में उक्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कक्षा 9वीं, 11वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों के साथ मिडिल स्कूल की छात्र-छात्राएं शामिल हुए।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने बताया कि एक युद्ध नशे के विरूद्ध कार्यक्रम के तहत छ.ग. से रायपुर. बिलासपुर के साथ हमारा जिला सूरजपुर शामिल है। सूरजपुर को नशे से मुक्त करना है, इसके लिए सभी बच्चों को संकल्प लेना है कि हम स्वयं नशा नहीं करेंगे और अपने अभिभावकों को भी नशे से दुर करने का प्रयास करेंगे। बच्चो को नशा से दूर करने के लिए किशोर न्याय अधिनियम में प्रावधान दिये गये हैं। जे. जे. एक्ट की धारा 77 और 78 में स्पष्ट प्रावधान दिये गये है यदि कोई बच्चे को नशे में संलिप्त करता है या उसके साथ नशा करता है तो एक लाख रुपये जुर्माना और दो वर्ष के सजा का प्रावधान दिया गया है।

बाल विवाह मुक्त सूरजपुर के सपने को पूरा करने के लिए सभी  बच्चों को एम्बेसडर के रूप मे काम करने का आह्वान किया गया । श्री जायसवाल ने बताया कि बाल विवाह समाज के लिए एक ऐसी अभिशाप है जिससे उस बच्चो का तो भविष्य खराब होता ही है साथ ही आने वाला संतान भी कुपोषित या मृत पैदा होता है।

कार्यशाला में बच्चों को लैगिंक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 के सम्बन्ध में भी विस्तृत जानकारी दी गई। श्री जायसवाल ने बताया कि बच्चो को लैगिंक अपराधो से बचाने के लिए उक्त कानून को बनाया गया है। पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चो को गलत तरीके से घूर कर देखना, पीछा करना, रास्ता देखना, गलत फिल्म दिखाना, सभी अपराध की श्रेणी के आते है। पॉक्सो की सभी धारा में अजमानतीय है।

 सभी को गुड टच एवं बेड टच की जानकारी दी गई, इससे बचने के लिए बच्चों को चार सूत्र की जानकारी दी गई। नो-गो-टेल एवं एफ-आई-आर। सूत्र मे नो से मतलब विरोध का है यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को गलत तरीके से बात करता है या छेडने की कोशिश करता है तो उसका विरोध चिल्ला कर चेहरे मे बालू फेक कर धक्का देकर किया जा सकता है इसका मतलब बच्चो को भीड़ भाड़ वाले जगह पर चले जाना है वह उसका सुरक्षित स्थान है फिर उसे उस घटना के सम्बन्ध मे अपने उस व्यक्ति जिसको सबसे ज्यादा विश्वास करते हो उसे बताना है। और उस घटना का एफ.आई.आर. सम्बंधित थाने में होना चाहीए। सभी बच्चो से चुप्पी तोडऩे की अपील की गई।

इस हेतु टोल फ्री. न. 1098, 181 एवं 112 का प्रयोग करने हेतु आग्रह किया गया।

बच्चों को गांव में सभी को मानव तस्करी की जानकारी देने की अपील की गई। इस क्षेत्र में भी कुछ दलाल सक्रिय हो गये हैं जो बच्चों एंव  गांव में घूम कर लोगो को मोटी रकम देने का लालच दे कर बाहर काम के लिए ले जाते हैं और वे बाहर जाकर फंस जाते है। ग्रामीणों का सचेत करने की आवश्यकता है ताकि गांव से बाहर काम के ज्यादा पैसे के लालच में ना जाए और कोई जाता भी तो उसे पलायन पजी में उल्लेख कर ही बाहर जायें। और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अपने गांव से बाहर काम के नाम से बाहर कोई ले जाता है तो उसके ऊपर अपहरण का मामला पंजीबद्ध होगा।

बच्चों को बाल क्रम, साइबर क्राइम एवं अन्य विषयों की जानकारी दी गई और बच्चों के प्रश्नोत्तरी का जवाब भी दिया गया। सभी बच्चों ने कार्यशाला में उत्साहपूर्वक भाग लिया।


अन्य पोस्ट