सूरजपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भैयाथान, 10 नवंबर। ब्लॉक मुख्यालय से दस-बारह किमी दूर ग्राम बड़सरा, बसकर, कुधरी, धरसेड़ी सहित आसपास के आधा दर्जन गांवों में तीन-चार दिन से ग्रामीण बाघ के आमद से दहशत में जीने को मजबूर है, वहीं वन विभाग के अधिकारियों के द्वारा बाघ के मौजूदगी पर काफी विरोधाभास है।
मिली जानकारी अनुसार शुक्रवार को ओडग़ी रेंज के गिद्धा झरिया जंगल में ग्राम बड़सरा निवासी सुखलाल के गाय को बाघ के द्वारा शिकार किए जाने की घटना के बाद ग्रामीण दहशत में हैं।
शनिवार को घटनास्थल का निरीक्षण किए जाने के बाद वन विभाग ने बाघ की मौजूदगी को नकारते हुए कहा कि गाय का शिकार किसी अन्य वन्य जीव द्वारा किया गया है। जबकि पूर्व में बाघ के पंजों के निशान भी इस क्षेत्र में मिल चुके हैं व एक माह में बड़सरा, बसकर, कुधरीपारा के पशुपालकों का एक दर्जन से अधिक मवेशियों को बाघ ने शिकार किया है।
ज्ञात हो कि कोरिया वनविभाग की टीम जिसने एक पखवाड़े पूर्व यहीं से गए बाघ को टेमरी जंगल में कैमरा लगाकर बाघ होने की पुष्टि की थी।
बड़सरा के रहने वाले सुखलाल सिंह ने बताया कि मैं हर रोज की तरह शुक्रवार शाम अपने मवेशियों को लेकर आ रहा था। उसी दौरान बाघ के दहाडऩे की आवाज मुझे सुनाई दी। इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता कि बाघ ने गाय पर हमला कर दिया। बाघ गाय को अपने जबड़े में पकडकऱ घसीटता हुआ भागने लगा और सभी गाए चिल्लाते हुए भागने लगी तभी मैं चिल्लाया तो बाघ मृत गाय को छोड़ भागा।
इस हादसे से मैं काफी घबरा गया था। मुझे डर लग रहा था कि कहीं बाघ मुझ पर ही हमला न कर दे। इसलिए मैं जंगल से भागकर सीधे घर आ गया और परिजनों एवं ग्रामीणों को हादसे की खबर दी, फिर चार पांच लोग होकर जंगल गए तो देखा मृत गाय वहां नहीं है। एक माह पूर्व पांच गायों को बाघ ने अपना शिकार बनाया था। आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला है।
जांच के लिए पहुंचा वन अमला, बाघ की पुष्टि
बाघ के हमले की सूचना जनपद सदस्य सुनील साहू ने वन विभाग के अधिकारियों को दी। तब दूसरे दिन वन विभाग के अधिकारी आमाखोखा पहुंच ग्रामीणों को लेकर गिद्धा झरिया जंगल गए, जहां बाघ के पदचिन्ह व गाय के मृत शरीर के अवशेष का पंचनामा बनाया।
बाघ नहीं सियार है-वन विभाग
ओडग़ी वन विभाग के एसडीओ ने वैसे तो अधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं की है, लेकिन एक दर्जन से अधिक गाय के शिकार के पीछे सियार के होने की आशंका जता रहे हैं। वैसे अधिकारिक रूप से किसी वन्य जीव के द्वारा ही शिकार होना बताया गया है।
एसडीओ ओडग़ी फॉरेस्ट रेंज मनोज कुमार शाह का कहना है कि हमें ओडग़ी परिक्षेत्र में बाघ आने की सूचना मिली थी, लेकिन वह अब कोरिया जिला चला गया है। ओडग़ी वन परिक्षेत्र में गायों का शिकार किसी वन्य जीव द्वारा किया गया है। बाघ इस तरह से शिकार नहीं करता है। बाघ की मौजूदगी, पशुधन के मुआवजे के संख्या के सवाल पर उत्तर नहीं दिए, बल्कि आप बकवास कर रहे हो कहते हुए फोन काट दिया।
सूरजपुर के डीएफओ पंकज कमल का कहना है कि कोरिया से सटे जंगल क्षेत्र में बाघ की मूवमेंट है। ग्रामीणों को जंगल न जाने की समझाईश लगातार दी जा रही है। पशुधन नुकसान होने पर पंचनामा तैयार किया जा रहा है, ताकि मुआवजा मिले।
एक माह से ओडग़ी परिक्षेत्र में बाघ का मूवमेंट
वन परिक्षेत्र ओडग़ी अतंर्गत ग्राम धरसेड़ी,कुधरी,सांवारांवा,गोविंदगढ़, बड़सरा, बसकर के समीप जंगल में बाघ के आमद की सूचना पिछले एक डेढ़ माह से रही है, जहां एक दर्जन से ज्यादा मवेशियों को बाघ ने अपना शिकार बनाया जिसके पद चिन्ह (फुट प्रिंट) भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए।
एक माह पूर्व बड़सरा निवासी मनोज यादव के पांच गायों को, आमाखोखा निवासी सुखलाल के चार गायों को अपना शिकार बनाया था, तो वहीं तीन दिन पहले एक गाय का शिकार किया है। कुधरी, धरसेड़ी के पास बाघ ने दो गायों का शिकार एक दिन पूर्व किया है। जहां बाघ के फुटमार्क भी मिले हैं।
मवेशियों के शिकार से क्षेत्र के ग्रामीण काफी दहशत में हंै। जंगल जाना बंद कर दिया है। जंगल के निकट के ग्रामीणों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है। वर्तमान में बरपानी जंगल के आसपास ही बाघ की लोकेशन बताई जा रही है।