राजपथ - जनपथ
न्याय के कुछ सुगम रास्ते, जो मालूम नहीं हैं..
जरूरी सेवाओं के प्रति मशीनरी को जवाबदेह बनाने के लिये नालसा (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) ने देशभर के प्रमुख शहरों में जनोपयोगी अदालतों का गठन किया है। छत्तीसगढ़ के पांच संभागीय मुख्यालय बस्तर, सरगुजा, रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में ये अदालतें काम कर रही हैं। यह एक ऐसी कोर्ट है जिसमें कोई कोर्ट फीस नहीं देनी होती। एक प्रारूप में शिकायत जमा करनी होती है। यह प्रारूप अदालत में भी उपलब्ध है और ऑनलाइन भी डाउनलोड किया जा सकता है। यह ऐसी अदालत भी है जहां मुकदमों की संख्या बेहद कम है। पर यहां बैठने वाले जज की शक्तियां जिला जज के बराबर होती है।
इसी अदालत की शरण ली गई है अंबिकापुर में पार्क के लिये प्रस्तावित जमीन पर नगर निगम का नया प्रशासनिक भवन बनाने से रोकने के लिये। राज्य सरकार ने मौजूदा नगर निगम कार्यालय में जगह की कमी को देखते हुए नये भवन के लिये 5 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं। नगर निगम की पुरानी बिल्डिंग के सामने बने धुंआधार पार्क पर इसे बनाने का निर्णय लिया गया। कुछ जागरूक नागरिकों ने इसका विरोध किया और कहा कि प्रस्ताव के अनुसार इस जगह पर पार्क का निर्माण किया जाना चाहिये। नई बिल्डिंग बनाकर पार्क की जमीन को नष्ट नहीं करना चाहिये। बात नहीं बनी तो अंबिकापुर के जनोपयोगी अदालत में परिवाद दायर कर दिया गया है। प्रशासन का तर्क है कि नगर-निगम की पुरानी और नई बिल्डिंग आसपास होनी चाहिये, कलेक्ट्रेट भी सामने है। इसलिये इस जगह का चुनाव किया गया। पर याचिका लगाने वालों का कहना है कि पार्क की जमीन से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। बिल्डिंग को तो कहीं भी खड़ी की जा सकती है। वहां जनोपयोगी अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली है और नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुनवाई 5 अक्टूबर को रखी गई है।
हम आप अपने-आसपास कितनी ही अव्यवस्था देखते हैं। सडक़ों के गड्ढे नहीं भरे जाते, ट्रैफिक की व्यवस्था नहीं सुधरती, बिजली बार-बार गुल हो जाती है, पानी की सप्लाई नहीं होती, सफाई शुल्क देते हैं पर सफाई नहीं होती, अस्पताल में इलाज और जांच की लापरवाही का शिकार होते हैं। केन्द्र सरकार की भी अनेक सेवायें, डाक, बीमा आदि कितनी ही समस्याओं से हम दो-चार होते हैं। इन अदालतों में आवेदन लगाया जा सकता है।
खास बात यह है कि इस अदालत में वे मामले लाये जा सकते हैं जो अपराध नहीं होने पर कर्तव्य में लापरवाही की होती है। इसलिये सजा देने के बजाय समझाइश और समझौते को तवज्जो दी जाती है। समझौता नहीं होने पर ही कोई आदेश पारित किया जाता है। हाल ही में जब राष्ट्रीय लोक अदालत प्रदेशभर में रखी गई थी तो इन जनोपयोगी अदालतों का खूब प्रचार भी शिविरों के दौरान किया गया था। संभवत: अंबिकापुर में भी परिवाद उसी से प्रेरित होकर ही लाया गया।
केबीसी में एक सवाल रेलवे जोन पर
‘कौन बनेगा करोड़पति’ में हर बार की तरह इस बार भी छत्तीसगढ़ को अच्छा अवसर मिल रहा है। 30 सितंबर के एपिसोड में एक सवाल पर हॉटसीट पर बैठे बस्तर में तैनात सीमा सुरक्षा बल के अश्वनी कुमार सिन्हा अटक गये। उन्होंने अपनी लाइफलाइन का इस्तेमाल करते हुए प्रश्न बदलने कहा। ऑप्शन लिया, माई सिटी, माई स्टेट। उनसे पूछा गया कि भारतीय रेलवे का कौन सा जोनल मुख्यालय बिलासपुर में स्थित है। सिन्हा जी ने थोड़ी देर विचार किया पर इस सवाल के जवाब में उन्हें फिर लाइफ लाइन की जरूरत पड़ गई। दो गलत ऑप्शन हटाये गये तब सही जवाब दे पाये- दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे। रेलवे के अधिकारी एपिसोड के इस हिस्से को खूब शेयर कर रहे हैं। सिन्हा जी को जवाब देने में कठिनाई जरूर हुई पर केबीसी में अमिताभ बच्चन की ओर से रेलवे जोन पर सवाल किया जाना उन्हें बहुत भाया। गौरतलब है कि इंडियन रेलवे में बिलासपुर का एसईसीआर सबसे ज्यादा कमाई देने वाला जोन भी है।
रोगी, भोगी अमित..., जोगी बनने की राह पर
पूर्व विधायक व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेता अमित जोगी बीते 10 दिनों तक विपश्यना शिविर में चले गये थे। वहां मौन धारण करना पड़ता है। मानसिक तनाव से मुक्ति और आत्मबल बढ़ाने के लिये काफी लोग यहां पहुंचते हैं। अमित लौटकर सोशल मीडिया पर बता रहे हैं कि अब वे अपने नाम (सरनेम) की तरह जोगी बनने की राह पर निकल पड़े हैं। विपश्यना सीखने से पहले वे रोगी और भोगी थे।
बहुत से जोगी, योगी राजनीति में हैं पर उनका रोग और भोग से नाता छूट नहीं पाता है। सचमुच का जोगी बनने के लिये राजनीति, पद, मोह, माया, रोग, भोग से दूर रहना पड़ेगा। पार्टी टूट रही है, जुड़ रही है, इन विषयों को निर्विकार भाव से ग्रहण करना होगा। क्या करने वाले हैं, उन्होंने साफ नहीं किया।