राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अभी तो यह अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है...
23-Aug-2020 4:36 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अभी तो यह अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है...

अभी तो यह अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है...

कवर्धा में होमगार्ड भवन के लिए आरक्षित जमीन पर कांग्रेस भवन के निर्माण-भूमिपूजन के पूर्व सीएम रमन सिंह के आरोपों पर कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया है। सरकार के मंत्री मोहम्मद अकबर ने पहले तो रमन सिंह के आरोपों को तथ्यहीन और गुमराह करने वाला बताया। वे यही नहीं रूके, उन्होंने रमन सिंह से ही पूछ लिया कि रमन सिंह अपने मकान से सटी सरकारी जमीन पर किए गए कब्जे पर कुछ क्यों नहीं कहना चाहते। कांग्रेस के लोग बताते हैं कि रमन सिंह-परिवार ने मंडी की कुछ जमीन को घेरा हुआ है। बात अब आगे बढ़ चुकी है। कांग्रेस अब इस पर भाजपा को ही घेरने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस के कुछ लोगों ने भाजपा दफ्तर कुशाभाऊ ठाकरे परिसर की जमीन के दस्तावेज निकाले हैं, और इसमें भारी गड़बड़ी का दावा किया जा रहा है। 

बताते हैं कि डुमरतराई स्थित कुशाभाऊ ठाकरे परिसर करीब पांच एकड़ जमीन में फैला हुआ है। इसमें से एक एकड़ जमीन धमतरी के एक दवा कारोबारी की  थी। सुनते हैं कि दवा कारोबारी से जमीन की अदला-बदली की गई। रमन सरकार ने दवा कारोबारी को बदले में एक एकड़ से अधिक सरकारी जमीन आबंटित कर दी। बात यहीं खत्म नहीं हुई। हाउसिंग बोर्ड की जमीन को भी दफ्तर तक जाने के लिए ले लिया गया। जानकार लोग बताते हैं कि उस समय के हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष इसके लिए तैयार नहीं थे, लेकिन बाद में वे खामोश हो गए। अब जमीन से जुड़े सारे दस्तावेज निकाले गए हैं, और अब रमन सिंह-भाजपा पर तीखा पलटवार की तैयारी है। उत्साही कांग्रेसी कह रहे हैं कि रमन सिंह ने बर्रे के छत्ते में हाथ डाल दिया है। वाकई में ऐसा कुछ है, यह देखना है। 

नए नेता और घाघ अफसर...

छत्तीसगढ़ के निगम-मंडलों में बहुत से नेताओं को लीडरशिप मिल गई है, लेकिन जो लोग पहली बार सरकारी कामकाज में आए हैं उनमें से अधिकतर को निगम-मंडल के और विभाग के अधिकारी घुमा रहे हैं। किसी को बताया जा रहा है कि उनके दफ्तर की साज-सज्जा का कोई बजट नहीं है, किसी को बताया जा रहा है कि उनके लिए कोई नई कार नहीं ली जा सकती, कोई अपने पसंद का पीए रखना चाहते हैं, तो उसके खिलाफ नियम गिना दिए जा रहे हैं। यहां पर नेताओं की दबंगई काम आती है, या फिर मुख्यमंत्री तक उनकी सीधी पहुंच से अफसर वाकिफ हों, तो अफसर दबते हैं। आने वाले दिनों में तालमेल ठीक बैठने लगेगा, लेकिन तब तक मनोनीत नेता कुछ खिन्न घूम रहे हैं। 

 

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