राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नि:शक्तजन घोटाला और सीबीआई जांच
09-Feb-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नि:शक्तजन घोटाला और सीबीआई जांच

नि:शक्तजन घोटाला और सीबीआई जांच 

नान घोटाले की तरह नि:शक्तजन घोटाला प्रकरण भी अब राजनीतिक  रंग ले रहा है। प्रकरण की सीबीआई जांच के खिलाफ हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करने से भाजपा के लोगों को भूपेश सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल गया और पार्टी नेताओं ने सवाल उछाल दिया कि आखिर भूपेश सरकार किसको बचाने की कोशिश कर रही है? इस सवाल पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया आना बाकी है। मगर देर सबेर इस घोटाले पर नान की तरह भाजपा के लोगों को बचाव में आना पड़ सकता है। 

सीबीआई की एक टीम भोपाल से जांच के लिए रायपुर आई हुई है, जिसमें दिल्ली के अफसर भी हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि घोटाला पिछली भाजपा सरकार के समय का है। मगर इसमें कौन-कौन शामिल हैं, इसको लेकर कयास ही लगाए जा रहे हैं। सुनते हैं कि नि:शक्तजन संस्थान के जरिए सोसायटी का गठन किया गया था, उस पर तत्कालीन विभागीय मंत्री रेणुका सिंह से लेकर तत्कालीन वित्त मंत्री अमर अग्रवाल  और तत्कालीन सीएम रमन सिंह की सहमति रही है। 

फाइलों पर तत्कालीन सीएम रमन सिंह के अनुमोदन से सोसायटी की प्रबंध कार्यकारिणी में सच्चिदानंद जोशी, प्रफुल्ल विश्वकर्मा, सुधीर देव और दामोदर गणेश को अशासकीय सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया था। अब जब इस संस्थान और सोसायटी को कथित तौर पर फर्जी करार दिया जा रहा है, तो ऐसे में इन तमाम दिग्गजों पर आंच आना स्वाभाविक है। 

यह बात भी छनकर आ रही है कि संस्थान के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक सोसायटी की तीन-चार मीटिंग हुई थी, जिसमें पहली बार रेणुका सिंह, फिर लता उसेंडी और आखिरी बार मीटिंग की अध्यक्षता रमशीला साहू के समाज कल्याण मंत्री रहते हुई थी। जांच आगे बढ़ेगी, तो इन सभी से पूछताछ संभव है। यही नहीं, जिस संस्थान में करीब एक हजार करोड़ का घोटाला बताया जा रहा है, उसमें पिछले 15 सालों में सिर्फ 23 करोड़ ही खर्च हुए हैं। 

ऐसे में बाकी की राशि कहां से आई, और कहां गईं, इसका जवाब भी सीबीआई को ढूंढना है। नान घोटाले की जांच के चलते वहां के छोटे-बड़े कर्मचारी पिछले कई साल से टेंशन में हैं, लेकिन सोसायटी में काम कर रहे लोग सीबीआई जांच से बेफिक्र और बेखौफ दिख रहे हैं। उनका अंदाज कुछ मशहूर शायर राहत इंदौरी के उस शेर की तरह नजर आ रहा है कि 'लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी हैÓ।


बंसल भी प्रतिनियुक्ति की राह पर
कृषि विभाग के विशेष सचिव मुकेश बंसल भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। सुनते हैं कि बंसल, केन्द्रीय इस्पात मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के सचिव बन सकते हैं। बंसल भाप्रसे के वर्ष-2005 बैच के अफसर हैं। वे सीएम रमन सिंह के संयुक्त सचिव भी थे। वे राजनांदगांव कलेक्टर भी रह चुके हैं। बंसल से पहले सुबोध सिंह केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं। हालांकि आईएएस अफसरों की कमी है। ऐसे में मुकेश बंसल को केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने का मौका मिलेगा या नहीं, देखना है।
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