फसल बीमा घोटाले को लेकर जिस तरह पिछले मुख्य सचिव अजय सिंह के खिलाफ एक जांच दर्ज करने की तैयारी चल रही है, उससे छत्तीसगढ़ के सहमे हुए अफसरों की रीढ़ की हड्डी में एक बार और सिहरन दौड़ गई है। दरअसल राज्य बनने के बाद से अब तक के इतने बरसों में किसी ने यह सोचा नहीं था कि सरकारी कामकाज को लेकर कोई सरकार इतने सारे अफसरों के खिलाफ इतने आक्रामक तरीके से जांच और मुकदमे शुरू कर देगी। लेकिन सरकार के तेवर वैसे ही आक्रामक बने हुए हैं जैसे पिछले पन्द्रह बरस के विपक्ष में थे। और दूसरी तरफ पन्द्रह बरस की सरकार के अफसरों का हाल यह था कि उनको यह लगना बंद हो गया था कि कभी कोई और सरकार भी आ सकती है।
मंत्रालय में एक आला अफसर का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की यही रफ्तार रही, तो पांच बरस का कार्यकाल पूरा होने तक आल इंडिया सर्विस छत्तीसगढ़ में दर्जन भर अफसर खो बैठेगी, नीचे के कई अफसरों को प्रमोशन का मौका मिलेगा, और राज्य को केन्द्र से मांग करनी पड़ेगी कि और अफसर दिए जाएं। दूसरी तरफ राज्य में केन्द्रीय सेवा के अफसरों के दबदबे के खिलाफ कुछ ऐसे वरिष्ठ आईएएस हैं जो मानते हैं कि राज्य को राज्य सेवा के अधिकारियों को ही बढ़ावा देना चाहिए, और अधिक से अधिक जिम्मा उनको देना चाहिए। कुल मिलाकर राज्य बनने के बाद से पहली बार आला अफसरों में मुख्यमंत्री के तेवरों को लेकर, और अपने भविष्य को लेकर इतना गहरा विचार-विमर्श चल रहा है। फिर आपस में इस बात पर शर्त भी लग रही है कि जिन अफसरों को जेल जाने के आसार हैं, वे कब तक जेल चले जाएंगे, या नहीं जाएंगे? आरोपों से घिरे हुए एक अफसर के बारे में कुछ समय पहले तक ऐसी चर्चा थी कि जिस वजह से अजीत जोगी को कांग्रेस के भीतर बार-बार माफी मिल जाती थी, उसी वजह से इस अफसर को भी बख्श दिया जाएगा। लेकिन फिर ईओडब्ल्यू में जब जुर्म दर्ज हो गया, तो वह चर्चा अपने आप खारिज हो गई, और उसके साथ ही यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि ईश्वर इस बार कांग्रेस में माफी के लिए जोगी का साथ देगा, या नहीं?