राजपथ - जनपथ
मुक्तिबोध और विनोदजी दूर ही रहें...
छत्तीसगढ़ में सरकार किसी भी पार्टी की रहे, कविताओं के नाम पर मंच की तुकबंदी वाले कुछ कवियों को बार-बार बुलाया जाता है, और हाल के बरसों में इसमें सबसे अधिक भुगतान पाने वालों में कुमार विश्वास का नाम सबसे ऊपर है। राज्य का संस्कृति विभाग स्थानीय कवियों, और कलाकारों को तय किया हुआ पारिश्रमिक देने से भी मना करता है, लेकिन कुमार विश्वास को कभी कविता के नाम पर, तो कभी रामकथा पढऩे के नाम पर बहुत मोटी रकम दी जाती है।
अभी रायगढ़ में चक्रधर समारोह में भी कुमार विश्वास को बुलाया गया, और स्थानीय कलाकारों को पहले से तय किया गया पारिश्रमिक भी नहीं दिया गया, क्योंकि मोटी रकम कभी फिल्म इंडस्ट्री के बड़े सितारों के लिए रहती है, तो कभी तुकबंदी करने वाले कवियों के लिए। यह सब तो रूपए-पैसे की बात है इससे हमारा कुछ लेना-देना नहीं है, लेकिन इस बार प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित चक्रधर समारोह में कुमार विश्वास का जो परिचय छपा है, उसके बाद इस प्रदेश के बड़े साहित्यकारों को सरकार से दूरी बना लेनी चाहिए। मुक्तिबोध और विनोद कुमार शुक्ल के इस प्रदेश की सरकार एक तुकबंदिए को युग कवि लिख रही है। मुक्तिबोध तो अब रहे भी नहीं, लेकिन विनोद कुमार शुक्ल तो हैं। और जिस प्रदेश के इस युग में कुमार विश्वास युग कवि हैं, उस प्रदेश के इस युग में विनोद कुमार शुक्ल को सरकार से कोसों दूर ही रहना चाहिए।
महानदी जल विवाद सुलझाने की एक और पहल

महानदी जल विवाद, बीते कई वर्षों से ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच तनाव का कारण बना हुआ है। इसे इसे एक नए सिरे से सुलझाने की फिर कोशिश हो रही है। दोनों राज्यों ने हाल ही में महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण (एमडब्ल्यूडीटी) को सूचित किया है कि वे इस मसले का सौहार्दपूर्ण समाधान चाहते हैं। इसी सिलसिले में 6 सितंबर 2025 को एक और बैठक होने वाली है।
महानदी, धमतरी जिले के सिहावा से निकलकर 851 किलोमीटर की यात्रा करती है, जिसमें से 494 किलोमीटर ओडिशा में है। यह नदी लाखों लोगों की आजीविका को सहारा देती है। पारिस्थितिक तंत्र और खेती के लिए भी महत्वपूर्ण है। ओडिशा का आरोप है कि छत्तीसगढ़ द्वारा नदी के ऊपरी हिस्से में 500 से अधिक एनीकट और 30 बैराज के निर्माण ने उसके प्रदेश में पानी के प्रवाह को काफी धीमा कर दिया है। दोनों राज्यों के बीच कोई औपचारिक जल-बंटवारा समझौता न होने से यह विवाद और जटिल बना हुआ है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय ने 30 अगस्त को घोषणा की कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और वरिष्ठ जल संसाधन अधिकारियों ने इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया है। दोनों पक्ष बातचीत और सहयोग के माध्यम से पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान की दिशा में काम करने को तैयार हैं। इसके लिए सितंबर में दोनों राज्यों के मुख्य अभियंताओं की अध्यक्षता में तकनीकी समितियों की साप्ताहिक बैठकें होंगी, जो विवाद की पहचान और समाधान पर ध्यान देंगी।
इसके बाद अक्टूबर में मुख्य सचिव स्तर की एक और बैठक होगी, और दिसंबर तक दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मुलाकात हो सकती है। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पहले ही 25 जुलाई को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और केंद्रीय जल आयोग के मार्गदर्शन में एक संयुक्त समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था।
दोनों राज्यों के बीच सहयोग की यह भावना इसलिये भी दिखाई दे रही है क्योंकि दोनों ही जगह एक ही दल की सरकार है। इसके पहले इस मसले पर बीजू जनता दल और छत्तीसगढ़ की भाजपा तथा कांग्रेस सरकारों के बीच खूब तनातनी रही। यदि ताजा प्रयास सफल होता है, तो महानदी जल विवाद का दीर्घकालिक समाधान हो सकता है। यह अन्य अंतर-राज्यीय जल विवादों के लिए भी मिसाल बन सकता है। हालांकि 6 सितंबर को होने वाली बैठक में ठोस नतीजा निकलने पर ही इसके संकेत मिल सकेंगे।
सुधीर की जगह कौन?
वन मुख्यालय में एक बड़ी सर्जरी की तैयारी चल रही है। हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स के बाद दूसरे नंबर के अहम पद पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) की नियुक्ति पर मंत्रणा चल रही है। पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) सुधीर अग्रवाल रिटायर हो गए हैं। पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) के लिए तीन पीसीसीएफ होड़ में हैं।
आईएफएस के 89 बैच के अफसर तपेश झा की दावेदारी शीर्ष पर है। झा के अलावा 94 बैच के अरुण पाण्डेय, और प्रेम कुमार की भी दावेदारी है। प्रेम कुमार को वाइल्ड लाइफ में काम करने का अनुभव भी है। सीएम विष्णुदेव साय लौट आए हैं, और सीनियर आईएफएस अफसरों को नए सिरे से पदस्थापना प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है।
कांग्रेस भी हाईकोर्ट में
विष्णुदेव साय कैबिनेट में 14वें मंत्री के खिलाफ कांग्रेस हाईकोर्ट में याचिका दायर करने जा रही है। वैसे तो इस विषय पर एक याचिका पहले दायर हो चुकी है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
बताते हैं कि पार्टी के अंदरखाने में 14वें मंत्री के खिलाफ याचिका दायर करने पर सहमति है। मगर पार्टी के बड़े नेताओं के बीच समन्वय नहीं दिख रहा है। पहले शैलेन्द्र नगर रहवासी वासु चक्रवर्ती ने 14वें मंत्री के खिलाफ जो याचिका दायर की है, उसके पीछे भी कांग्रेस के ही प्रमुख नेताओं का समर्थन होना बताया जा रहा है। ये अलग बात है कि वासु चक्रवर्ती कांग्रेस से निष्कासित है ।
इधर, कांग्रेस की तरफ से सोमवार को एक अलग से याचिका दायर की जाएगी। यह याचिका पार्टी के एक पदाधिकारी की तरफ से दायर की जा रही है। कहा जा रहा है कि पार्टी के एक प्रमुख नेता ने याचिका को लेकर एक पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल से राय ली थी। पूर्व डिप्टी एजी ने पार्टी के किसी विधायक के मार्फत याचिका लगाने का सुझाव दिया था। मगर इस मसले पर पार्टी के भीतर कोई सहमति नहीं बनी। यह तर्क दिया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों के हिसाब से यह संख्या अधिकतम 13.50 यानी 13 मंत्री होनी चाहिए। मगर 20 अगस्त को 3 नए मंत्री बनाए जाने के बाद कैबिनेट में अब 14 सदस्य हो गए हैं, जो इस सीमा से अधिक है। इसे संविधान के अनुच्छेद 164 (1 क) का उल्लंघन बताया जा रहा है।
दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ में हरियाणा का उदाहरण देकर कैबिनेट में सीएम समेत 14 मंत्री बना दिए गए हैं। हरियाणा में भी इसके खिलाफ याचिका दायर की गई है। इस पर सुनवाई चल रही है। कुल मिलाकर संसदीय सचिव की तरह 14वें मंत्री को लेकर कानूनी लड़ाई लंबी चलने के आसार दिख रहे हैं।

इस देश में लोगों ने ट्रम्प के लिए हवन कर-करके देख लिया है। अब छत्तीसगढ़ के एक पत्रकार ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के फोटो को अपना व्हाट्सएप प्रोफाइल फोटो बना लिया है। है न दिलचस्प बात!


