राजपथ - जनपथ
अनुराग को एक्सटेंशन, अमिताभ का क्या?
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश, दोनों ही पड़ोसी राज्यों के सीएस एक्सटेंशन पर हैं। छत्तीसगढ़ के सीएस अमिताभ जैन को तीन माह का एक्सटेंशन मिला हुआ है। अब उन्हीं के बैचमेट मध्यप्रदेश के सीएस अनुराग जैन को एक साल का एक्सटेंशन मिल गया है।
आईएएस के 89 बैच के अफसर अनुराग जैन, अविभाजित मध्यप्रदेश में कांकेर के एडिशनल कलेक्टर रह चुके हैं। अनुराग जैन, तीन जिलों के कलेक्टर और पीएमओ में भी ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर काम कर चुके हैं। अमिताभ जैन और अनुराग, दोनों के बीच निजी संबंध काफी अच्छे हैं। इधर, अमिताभ जैन के एक्सटेंशन की अवधि 30 सितंबर को खत्म हो रही है। ऐसे में उनके एक्सटेंशन की अवधि बढ़ाई जाएगी या नहीं, इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
खास बात ये है कि अमिताभ जैन के रिटायरमेंट के दिन राज्यपाल ने उन्हें स्मृति चिन्ह देकर बिदाई भी दे दी थी। कैबिनेट में उन्हें बिदाई दी जा रही थी, तभी दिल्ली से उन्हें तीन माह का एक्सटेंशन मिलने की सूचना आई। इसके बाद आनन-फानन में विधिवत प्रस्ताव केन्द्र को भेजा गया, और फिर शाम तक एक्सटेंशन ऑर्डर निकला।
अमिताभ जैन प्रदेश में सबसे लंबे समय तक सीएस के पद पर रहने वाले अफसर हैं। चर्चा है कि वो खुद भी एक्सटेंशन के लिए प्रयासरत नहीं थे, बल्कि सीआईएस (मुख्य सूचना आयुक्त) पद पर काम करने के इच्छुक थे। उन्होंने इसके लिए इंटरव्यू भी दिया था। चूंकि उन्हें एक्सटेंशन मिल गया, इसलिए सीआईएस के पद पर नियुक्ति का मामला टल गया। अब आगे क्या होगा, यह तो अगले कुछ दिनों में पता चलेगा।
ताकतवर होंगे जिलाध्यक्ष

कांग्रेस में जिलाध्यक्षों को ताकत दी जा रही है। यानी पार्टी के कार्यक्रमों से लेकर प्रत्याशी चयन में जिलाध्यक्षों की राय को अहमियत दी जाएगी। कुल मिलाकर जिलाध्यक्ष पहले की तुलना में ज्यादा पॉवरफुल होंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि जिले का कितना भी बड़ा नेता हो, उसे जिलाध्यक्ष की बात माननी होगी।
हालांकि पार्टी ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया भी निर्धारित की है जिसमें दावेदारों को इंटरव्यू देना होगा। छत्तीसगढ़ में अगले महीने से जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी। करीब डेढ़ दर्जन जिलों में अध्यक्षों का चयन होना है। इसके लिए अभी से दावेदार सक्रिय हैं। देखना है किसको मौका मिलता है।
बीवीआर को बड़ी भूमिका ?

बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम को जल्द ही एक हाई प्रोफाइल और बड़े पूंजीगत खर्च वाली सरकारी परियोजना सौंपी जा सकती है, जिसका उद्देश्य अनुसंधान और विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) में सुधार लाना है। इसे भारत के नीति परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
यह देखना है कि क्या यह जि़म्मेदारी उनकी मौजूदा भूमिका के अतिरिक्त होगी। सुब्रमण्यम इस समय नीति आयोग के सीईओ हैं। बीवीआर, मोदी सरकार के विश्वस्त अफसरों में गिने जाते हैं। रमन 3.0 में एसीएस गृह रहे बीवीआर को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर लेकर पहले जम्मू-कश्मीर का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया। उसके बाद केंद्रीय उद्योग व्यापार विभाग में सचिव फिर रिटायरमेंट के बाद नीति आयोग में पदस्थ किए गए।
हालाँकि, इस घटनाक्रम को लेकर यहां जो चर्चा हो रही है, वह उनके सफल प्रशासनिक ट्रैक रिकॉर्ड पर सरकार के भरोसे को दर्शाती है। छत्तीसगढ़ कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी, सुब्रह्मण्यम को लंबे समय से भारत के विकास एजेंडे के प्रमुख निर्माताओं में से एक माना जाता रहा है। वे छत्तीसगढ़ गठन के शुरूआती दौर में प्रतिनियुक्ति पर विश्व बैंक में भी पदस्थ रहे हैं।
सोशल मीडिया में तस्वीरों का खेल

सोशल मीडिया पर तैरती तस्वीरों का सच अक्सर वैसा नहीं होता जैसा दिखता है। कई एडिटेड और फर्जी होती हैं। कई असली भी, लेकिन साथ लिखी गई कहानी अलग। कभी पूरी तरह भ्रामक, तो कभी आधा-अधूरा सच।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हाल की पुण्यतिथि के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एक तस्वीर वायरल हुई। इसमें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और कुछ अन्य नेत्रियां दिखाई दे रही हैं। तस्वीर के साथ तरह-तरह के कमेंट किए गए, जैसे, अपनी इस दुनिया में सबको इतना खुश देख अटलजी से भी नहीं रहा गया, वे भी खिलखिलाने लगे। जांच करने पर पता चल रहा है कि यह कोई ताजा तस्वीर नहीं थी। सर्च इंजन का पीछा करने पर यह पोस्ट कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के 25 अगस्त 2018 के ट्विटर (अब एक्स) अकाउंट से मिली। उनकी पोस्ट में सिर्फ यही नहीं, बल्कि ऐसी तीन और तस्वीरें भी थीं। पहली तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अस्पताल के भीतर मेडिकल स्टाफ से हंसते हुए बात कर रहे हैं। पटवारी ने दावा किया था कि यह अटलजी की मृत्यु के दिन की तस्वीर है। दूसरी तस्वीर वही है, जिसमें चौहान और भाजपा नेत्रियां दिख रही हैं। पटवारी ने लिखा कि यह अटल जी की मौत के सातवें दिन की तस्वीर है। तीसरी, अटलजी के चित्र के सामने दीप जलाने की है, जिसमें दोनों ओर खड़े कुछ नेता ठहाके लगाते नजर आ रहे हैं। पटवारी का दावा था कि ये भाजपा के सांसद-विधायक हैं। चौथी तस्वीर में छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर दिखाई देते हैं। उस समय दोनों छत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद के सदस्य थे। इस पर पटवारी ने टिप्पणी की है-अस्थिकलश के साथ ठहाके लगाते मंत्री। पटवारी ने इसके बाद और भी बातें लिखीं, जिन्हें यहां दोहराना जरूरी नहीं।
उस वक्त भाजपा की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया आई थी। भाजपा ने कहा कि चौहान की जो तस्वीर अटलजी की मौत के सातवें दिन की जा रही है, वह असल में कमल शक्ति संवाद कार्यक्रम की है, जहां दीप प्रज्ज्वलन हुआ था। इसी तरह पहली तस्वीर, जिसमें प्रधानमंत्री अस्पताल में दिखाई दे रहे हैं, उसे भी भाजपा नेताओं ने कहा कि यह अटलजी के निधन से संबंधित नहीं, बल्कि किसी अन्य मौके की है। कहा- कांग्रेस का मकसद केवल बदनाम करना है।
दरअसल, सोशल मीडिया को भाजपा की आईटी सेल ने 2014 चुनाव के पहले से संगठित और आक्रामक ढंग से इस्तेमाल किया, जिसने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। मगर, अब कांग्रेस भी उसी खेल में उतर चुकी है। नतीजा यह कि दोनों तरफ से तस्वीरों और पोस्ट के गोला-बारूद चल रहे हैं। इन दिनों छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री पर बने कार्टून और वायरल पोस्ट इसी खेल की ताजा झलक हैं। सोशल मीडिया अब केवल संवाद का जरिया नहीं, बल्कि राजनीति का हर समय व्यस्त अखाड़ा है।


